संजय ठाकुर
डेस्क: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट का दौर आज भी देखने को मिला। इसका बड़ा असर शेयर मार्किट पर भी पड़ रहा है और एसबीआई तथा एलआईसी जैसी कंपनियों के शेयरो के दामों में आज भी गिरावट आई है। इस सम्बन्ध में अडानी समूह के इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि समूह के खिलाफ यह रिपोर्ट भारत पर सुनियोजित हमला थी। जिसके बाद अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को कहा कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता।
कल रविवार को अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है। समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं। अडानी समूह ने कहा था कि यह रिपोर्ट एक कृत्रिम बाजार बनाने की कोशिश है, जिससे शेयरों के दाम नीचे लाकर अमेरिका की कंपनियों को वित्तीय लाभ पहुंचाया जा सके। समूह ने यह भी कहा था कि यह रिपोर्ट गलत तथ्यों पर आधारित निहित मंशा से जारी की गई है। समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है।’ हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप ‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’ हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समूह ने कहा कि है कि रिपोर्ट ‘झूठा बाजार बनाने’ के ‘एक छिपे हुए मकसद’ से प्रेरित थी, ताकि अमेरिकी फर्म (हिंडनबर्ग) को स्टॉक की कीमतों को नीचे खींचकर वित्तीय लाभ मिल सके। दस्तावेज ‘एक गुप्त मकसद चलाने के लिए आधारहीन और बदनाम आरोपों से संबंधित चुनिंदा गलत सूचनाओं एवं छुपाकर रखे गए तथ्यों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन हैं।’ समूह ने कहा कि ये ‘निराधार और शर्मनाक आरोप किसी गुप्त मकसद’ से लगाए गए हैं। गौरतलब हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में रविवार को 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया।
क्या कहा हिंडनबर्ग रिसर्च ने
अडानी समूह की प्रतिक्रिया पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आज सोमवार को कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है। अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है। इसके साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी रिपोर्ट पर कायम है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए जहां हम काम करते हैं। हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है।
सोमवार को हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के समूह ने अपनी प्रतिक्रिया की शुरुआत इस दावे के साथ की कि हम (हिंडनबर्ग) ‘मैडॉफ ऑफ मैनहटन’ हैं। बर्नाड लॉरेंस मैडॉफ को पोंजी घोटाले में 2008 में गिरफ्तार कर 150 साल की सजा सुनाई गई थी। अडानी ने यह भी दावा किया कि हमने (हिंडनबर्ग) लागू प्रतिभूति और विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन किया है। फर्म की ओर से कहा गया, ‘ऐसे किसी कानून की पहचान करने में अडानी की विफलता के बावजूद यह एक और गंभीर आरोप है, जिसे हम स्पष्ट रूप से नकारते हैं।’ हिंडनबर्ग ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अडानी समूह ने ‘निश्चित रूप से मूल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश की और इसके बजाय एक राष्ट्रवादी आख्यान को हवा दी।’ इसमें कहा गया है, ‘अडानी समूह ने अपने उदय और अपने चेयरमैन गौतम अडानी की संपत्ति को भारत की सफलता के साथ मिलाने का प्रयास किया है।’
हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया, ‘हम असहमत हैं। स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है। हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है।’ हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो। हिंडनबर्ग ने कहा कि हमने अडानी समूह से 88 विशेष सवाल किए थे, जिनमें से समूह 62 का सही तरीके से जवाब देने में विफल रहा। शॉर्ट सेलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली न्यूयॉर्क की कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में अडानी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया है। अडानी को खुद 20 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद अडानी की संपदा में करीब 20 प्रतिशत की कमी आई है।
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