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जोशी मठ धसने का प्रकरण: सरकारी संस्थानों को डेटा जारी करने पर लगी रोक, NDMA ने कहा “लोगो में पैदा हो रहा भ्रम”

शाहीन बनारसी

डेस्क: उत्तराखंड के जोशी मठ धसने के प्रकरण में आज एनडीएमए ने बयान जारी कर कहा है कि सरकारी सस्थानो द्वारा जारी हो रहे डेटा से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। अभी एक दिन पहले ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रिपोर्ट दी थी कि उत्तराखंड के जोशीमठ में केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी का धंसाव देखा गया है। इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सरकारी संस्थानों को मीडिया के साथ बातचीत करने और सोशल मीडिया पर डेटा साझा करने से रोक दिया है। एनडीएमए की ओर से कहा गया है कि संगठनों की डेटा की “अपनी व्याख्या” भ्रम पैदा कर रही है।

एनडीएमए ने अपने पत्र में कहा है कि 12 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री की अध्‍यक्षता में आयोजित बैठक में इस मुद्दे को लेकर प्रकाश डाला गया था। इसमें कहा गया, “यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विषय वस्तु से जुड़ा डेटा जारी कर रहे हैं और साथ ही स्थिति की अपनी व्याख्या के साथ मीडिया के साथ बातचीत कर रहे हैं। यह न केवल प्रभावित निवासियों बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहा है।”

जोशीमठ में जमीन के धंसने के आकलन के लिए विशेषज्ञ समूह का गठन करने को इंगित करते हुए आपदा प्रबंधन एजेंसी ने इसरो सहित कई संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे इस मामले के बारे में “अपने संगठन को संवेदनशील बनाएं” और विशेषज्ञ समूह द्वारा जारी अंतिम रिपोर्ट आने तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट करने से बचें।

कार्टोसैट-2 एस उपग्रह से ली गई और इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी की गई सेटेलाइट इमेज से पता चला है कि जोशीमठ में 27 दिसंबर और 8 जनवरी के बीच 5।4 सेमी का धंसाव हुआ है।  प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि “2 जनवरी 2023 को शुरू हुई धंसने की तेज घटना” के कारण बड़े पैमाने पर मिट्टी धंस रही है।

पवित्र शहर माने जाने वाले जोशीमठ की इमारतों में पिछले साल दिसंबर में गहरी दरारें पड़ गई थीं, जिससे दहशत फैल गई और बचाव अभियान शुरू किया गया। सैटेलाइट सर्वे के बाद करीब 4000 परिवारों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाया गया है। वर्षों से पर्यावरणविद और स्थानीय लोग जोशीमठ जैसे संवेदनशील शहरों में अंधाधुंध निर्माण की चेतावनी दे रहे हैं। इनमें से कई बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए सरकार ने सड़कों को चौड़ा किया, बांधों और बिजली संयंत्रों का निर्माण किया। साथ ही इसके अलावा होटलों और बहुमंजिला इमारतों को बेहिसाब अनुमतियां दी गईं।

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