शाहीन बनारसी
वाराणसी: बढती ठण्ड इंसानियत को झकझोर कर रखे हुवे है। वो जिनके घर होते है वह अँधेरा होते ही अपने घरो में नर्म मुलायम बिस्तर पर ठण्ड का लुत्फ़ लेने लग जाते है। मगर इसी समाज में कुछ ऐसे लोग भी है जिनका गुज़र इन सडको पर ही शब गुज़ारने के लिए होता है। रहने के लिए न छत और न ओढने के लिए कम्बल। समाज में ऐसे लोगो के प्रति हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है।
न कोई प्रेस नोट, न समाज में हो हल्ला और न ही किसी तरीके की मीडिया के कैमरों की चमक दमक। मकसद इन सबका सिर्फ समाज के उस तबके की मदद करना था जो ज़रूरत मंद है। सर्द सियाह रातो को लकड़ी और अन्य प्रकार से आग के आसपास वक्त और रात की सर्दी से मिली तकलीफ को दूर कर रहे थे। बेशक समाज के अन्य सेवको के लिए ये एक उम्दा सन्देश दे गया। जिसने भी देखा उसने तारीफ किया। जिसने जाना उसके मुह से वाह ही निकल पडा।
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