तारिक़ खान
डेस्क: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप को कई दिन हो चुके हैं, लेकिन यहां मलबे के नीचे से लाशों के निकलने का सिलसिला अभी भी जारी है। बताते चले कि भीषण तबाही झेल रहे तुर्की में एक बार फिर भूकंप आया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र कहरामनमरास में रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.7 मापी गई। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने बताया कि तुर्की के कहरामनमरास शहर से 24 किलोमीटर दक्षिण में रविवार को 4.7 तीव्रता का भूकंप आया। इससे पहले छह फरवरी को तुर्किये और सीरिया में 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। इसके एक-दो दिन बाद भी कई बार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे।
इस खतरनाक भूकंप ने दुनिया भर के लोगो को हिलाकर रख दिया है. तबाही का मंजर यह है कि शहर के शहर बर्बाद हो चुके हैं और सबकुछ खत्म हो चुका है। इसके बावजूद लोगों को आस है कि मलबे के नीचे उनका कोई अपना फंसा होगा और वो जिंदा होगा। हालांकि, दोनों देशों में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। तुर्की के दस प्रांतों मे भूकंप की वजह से 25 हजार से ज्यादा इमारतें जमींदोज हुई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, मलबे में अब भी 10 हजार से ज्यादा शव हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई विशेषज्ञ संस्थान भी अनुमान लगा चुके हैं, मृतकों की कुल संख्या 50 हजार से ज्यादा हो सकती है। विशेषज्ञों के साथ ही तुर्की के ज्यादातर लोगों का भी यही मानना है कि भूकंप की वजह से हुए व्यापक विनाश की वजह असल में घटिया निर्माण है। अगर सरकार ने समय रहते कदम उठाए होते तो भूकंप से नुकसान तो होता, लेकिन जिस तरह का विनाश हुआ है, उससे बचा जा सकता था।
तुर्किये में घटिया इमारत बनाने वाले 130 से ज्यादा ठेकेदारों को गिरफ्तार किया गया है। तुर्किये के उपराष्ट्रपति फुआत ओक्टे ने बताया कि शनिवार को 131 बिल्डर व ठेकेदारों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया, जिनमें से 130 को रविवार दोपहर तक गिरफ्तार कर लिया गया है। ये सभी ठेकेदार तुर्किये के अलग-अलग शहरों में घटिया इमारत बनाने के आरोपी हैं। इनकी बनाई ज्यादातर इमारतें बीते सोमवार को आए भूकंप में धराशायी हो गईं। तुर्की में भवन निर्माण संहिता लागू है। इसके तहत किए जाने वाले निर्माण इसके नियमों के तहत इमारतों को भूकंप रोधी बनाया जाना अनिवार्य है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर तुर्की में लाखों इस तरह की इमारतें बनाई जा चुकी हैं, जिनका निर्माण बेहद घटिया है। तुर्की के कानून मंत्रालय के आदेश पर लोक अभियोजकों ने इमारतों के घटिया निर्माण के सबूत जुटाना शुरू कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि भारत ने रविवार को ऑपरेशन दोस्त के तहत राहत सामग्री से भरा सातवां विमान भेज दिया। यह विमान सीरिया के दमिश्क पहुंचा। विमान में 35 टन से ज्यादा राहत सामग्री भेजी गई। भारत की तरफ से तुर्की व सीरिया को अब तक 200 टन से ज्यादा राहत सामग्री व 250 से ज्यादा बचावकर्मी भेजे गए हैं। इस्कंदरन में बनाए गए भारतीय सेना के फील्ड हॉस्पिटल में अबतक 200 से ज्यादा घायलों का इलाज किया जा चुका है। इसके अलावा एनडीआरएफ का दल सैकड़ों लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाल चुका है। वही सुरक्षा कारणों से जर्मनी ने शनिवार को तुर्किये में बचाव अभियान बंद कर दिया। जर्मनी का कहना है कि यहां लोगों के समूहों में हिंसक झड़पें हो रही हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा को खतरा है, लिहाजा वे अभियान जारी नहीं रख सकते। जर्मनी की गिजेम ने बताया कि वह सानलिउर्फा में बचाव अभियान जुटी हैं, यहां उनके सामने ही लूटपाट के कई मामले हो चुके हैं।
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