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कडवी यादे: 19 साल बाद आज भले बदल गए है सियासत के सभी समीकरण, मगर एक बार फिर से संगम नगरी को याद आया खौफ और दहशत का वह मंज़र जब बसपा विधायक राजू पाल की हुई थी हत्या

शाहीन बनारसी

इलाहाबाद से बदल कर नाम प्रयागराज हो जाने के बाद भी यह जनपद सिर्फ अपनी अच्छी शिक्षा के लिए नही बल्कि अराजकता के लिए भी चर्चा का केंद्र बन जाता हैl छुटपूट अपराधो को छोड़ कर वैसे प्रयागराज काफी खामोश रहता हैl प्रयागराज में शांति अमन के दुश्मनों को नही पसंद आई या फिर कहे कि प्रयागराज में कानून व्यवस्था की धज्जियां ही उड़ गई है। सरेआम, लबे रोड, थाने से कुछ ही दुरी पर कल शुक्रवार की शाम उमेश पाल की बम और गोली से मारकर हत्या कर दी गई। आज उमेश पाल का अंतिम संस्कार पोस्टमार्टम के बाद हो गया है।

सिर्फ धूमनगंज ही नही बल्कि आसपास के इलाके बम और गोलियों की आवाजो से काँप उठेl उमेश पाल की जहा इस दुर्दांत घटना में मौत हुई, वही उनके एक गनर को भी अपनी जान गवानी पड़ीl एक अन्य गनर गम्भीर रूप से घायल है और वह भी ज़िन्दगी तथा मौत के बीच संघर्ष कर रहा हैl एक खुनी मंज़र जहा हर तरफ बमो के धमाके और गोलियों की आवाज़ थी तो फिजाओं में बम के धुवे उड़ रहे थेl हर कोई खौफ के साए में आ गयाl ऐसा खौफ जिसने आज से 19 साल पहले का वह मंज़र याद दिलवा दिया जब राजू पाल और उनके साथियों की हत्या हुई थीl

साल था 2005 और वह तारीख थी जनवरी की 25l इसी जीटी रोड पर उस दिन बीएसपी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की सरेआम गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थीl ठीक उसी तरह का मंजर 19 साल बाद राजू पाल की हत्या की जगह से तकरीबन 400 मीटर की दूरी पर राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल हत्या काण्ड में आँखों के सामने लोगो के आ गयाl प्रयागराज के धूमनगंज इलाके के लोगों को उमेश पाल की हुई हत्या के बाद वह मंज़र कल एक बार फिर ज़ेहन में तारो-ताज़ा हो गयाl हालांकि हालांकि तब की परिस्थिति कानून व्यवस्था को लेकर पूरी तरीके से फेल मानी जाती थी। लेकिन 19 साल बाद परिस्थितियां बदल गई और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार अब दंभ भरती हैl लेकिन बीच सड़क पर हुई इस हत्या के बाद प्रदेश के कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल उठने लगा है।

19 साल पहले राजू पाल हत्याकांड के समय राजूपाल की पत्नी पूजा पाल और उमेश पाल सभी बीएसपी में थे और राजू पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई समाजवादी पार्टी में हुआ करते थे। उस समय बीएसपी पार्टी की पूजा पाल समाजवादी पार्टी को इसलिए अच्छा नहीं मानती थी, क्योंकि उस पार्टी में बाहुबली अतीक अहमद और उनके भाई हुआ करते थे। राजूपाल हत्याकांड के कई साल बीत जाने के बाद राजनीति के समीकरण भी कुछ बदल गए हैं। और अब जिस समाजवादी पार्टी को पूजा पाल अच्छा नहीं मानती थी। अब उसी पार्टी में शामिल होकर इस समय सपा से विधायक हैं और बाहुबली अतीक अहमद को समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया गया।

यह उस समय की बात है जब बीएसपी प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही थी और बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई का सिलसिला शुरू किया। दावा तो ये भी है कि जब पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार थी तब बाहुबली की पत्नी मायावती से मिलने गई थी, लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। अब 19 साल बाद सियासत ने करवट ले लिया हैl सियासत में अब सब कुछ उल्टा ही हैl जो राजू पाल की पत्नी सपा को पसंद नही करती थी आज सपा के टिकट पर विधायक हैl वही जिस बाहुबली की पत्नी से बसपा सुप्रीमो ने मिलने से मना कर दिया था वह बसपा में शामिल हो चुकी है और होने वाले नगर निकाय चुनावो में वह बसपा के टिकट पर मेयर पद हेतु वोट मांगते हुवे दिखाई भी दे सकती हैl

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