आदिल अहमद
लखनऊ: भाजपा एमएलसी के कॉलेज हॉस्टल में 8वीं की छात्रा प्रिया राठौर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। मृतक छात्रा के पिता द्वारा दर्ज करवाई गई अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट में पुलिस की कार्य शैली को लेकर सवाल उठाया है और इन्साफ पाने के लिए कल बुद्धवार को पुलिस कमिश्नर एस0बी0 शिरडकर से मुलाकात कर उन्हें प्रार्थना पत्र सौंपा है।
मृतक छात्रा के पिता ने अपनी गुहार में कहा है कि सीपी साहब, कॉलेज प्रशासन कोई बड़ा सच छुपा रहा है। मेरी बेटी की कहीं और हत्या कर घटनास्थल को जानबूझकर दूसरी जगह बताया जा रहा है। पीड़ित पिता ने प्रार्थना पत्र देकर चार सवाल भी उठाए हैं। जालौन निवासी जसराम राठौर ने कालेज प्रबंधन पर काफी गम्भीर सवाल उठाया है। जसराम ने अपनी बेटी को कॉलेज के गेट तक छोड़ने से लेकर उससे व कॉलेज प्रशासन से हुई पूरी बातचीत व दी गई जानकारियों का ब्यौरा कमिश्नर को सौंपा है। उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन से लेकर अब तक कॉलेज प्रशासन हर कदम पर साक्ष्य छुपा रहा है। इंस्टीट्यूट की छात्राओं ने बताया कि वह लोग घटना के समय टहल रही थीं। एकाएक टायर फटने की आवाज आई। पलटकर देखा तो प्रिया पड़ी थी। जसराम का आरोप है कि यह बयान प्रायोजित है। छात्राओं से ऐसा बयान दिलवाया गया है।
पिता ने बताया कि गर्ल्स हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन प्रिया की मौत के समय वे सभी बंद थे। कॉलेज की दो टीचर व वार्डेन घटना वाले दिन फोन करने के बाद भी सही जानकारी नहीं दे रही थीं। रात को बीकेटी पुलिस ने उन्हें बताया कि मेरी बेटी की मौत हो गई है और उसका शव हॉस्पिटल में पड़ा है। छात्रा के पिता का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि कॉलेज प्रशासन उस वक्त यह योजना बना रहा था कि प्रिया की मौत को कौन सा रूप दिया जाए। बेटी के बैग से मिले कपड़ों में खून का लगना भी इस ओर इशारा कर रहा है कि उसे हॉस्पिटल भेजने से पहले उसके कपड़े बदले गए थे। इन तथ्यों से साफ है कि प्रिया को पहले कहीं और मारा गया, उसके बाद उसके शव प्लांटेड तरीके से हॉस्टल की दीवार के पास डाल दिया गया।
पिता ने कमिश्नर से 4 सवालों का जवाब मांगते हुवे कहा है कि मेरी पहली कॉल बेटी के फोन पर शाम 7:57 बजे थी, तब शिक्षिका मोनिका और प्रिया ही कमरे में थीं। ऐसे में मोनिका को प्रिया के बारे में पूरी जानकारी क्यों नहीं है? मैंने रात 9:19 बजे वार्डेन साधना सिंह को फोन किया, उन्होंने हॉस्पिटल का नाम नहीं बताया। 9:45 बजे फिर फोन किया तो रिसीव नहीं किया। क्या उनकी ओर से प्रिया की मौत को लेकर कोई साजिश रची जा रही थी? शिक्षिका मोनिका ने फोन करने पर ऐसा क्यों कहा कि छोटी सी बात है, लेकिन मुझे कुछ मालूम नहीं है। आप साधना मैम से पूछ लीजिए। जब मोनिका प्रिया के कमरे में थीं, तो उन्हें जानकारी क्यों नहीं थी। कॉलेज प्रशासन की ओर से बताया गया प्रिया ने मेस में जाकर खाना खाया, जबकि पुलिस की जांच में सामने अया कि उसने खाना ही नहीं खाया। प्रिया अगर छत से कूदी या गिरी तो वहां कोई निशान पुलिस को क्यों नहीं मिले।
उन्होंने आरोप लगाते हुवे कहा है कि बीकेटी पुलिस बुद्धवार को कॉलेज पहुंचकर शक के घेरे में आए लोगों के बयान दर्ज करने वाली थी, लेकिन पुलिस न तो कॉलेज गई और न ही किसी के बयान दर्ज किया। जसराम ने बताया कि एडीसीपी अभिजीत आर शंकर ने उन्हें अपने कार्यालय बुलाया और काफी देर तक वे वहां बैठे रहे। एडीसीपी उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया और जल्द ही आगे की कार्रवाई करने की बात कही।
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