तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी की प्रसिद्ध मार्किट दालमंडी-नई सड़क-सराय हड्हा जहा एक तरफ अपनी आलिशान बाज़ार के लिए मशहूर है और सुई से लेकर हर एक उपयोग का सामान इस मार्किट में उपलब्ध है। वही दूसरी तरफ इस बिज़नस हब में बिल्डर्स कारोबार भी काफी अच्छा चलता है। दोस्तों का ये इलाका दोस्त है मगर जब बात दुश्मनी की बने तो फिर आगे देखे न पीछे जमकर ढिशुम-ढिशुम कर लेते है।
घटना के सम्बन्ध में बताया जाता है कि बिल्डर साहब और उनके एक पूर्व पार्टनर एक दुसरे के साथ कई सालो से काम कर रहे थे। फिजाओं में तैर रही जानकारी बताती है कि पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच लेन देन को लेकर काफी तनाव व्याप्त हो गया जिसकी बानगी सोशल मीडिया पर भी दिखाई दी थी और दोनों एक दुसरे की चड्ढी उतारने को आमादा हो गये थे। इसके बाद दोनों के बीच जुबानी जंग चल रही थी। आज हुवे ढिशुम ढिशुम के लिए बेनियाबाग़ स्थित एक साईट को ज़िम्मेदारी दिया जा रहा है। जिसके अन्दर चहलकदमी करते हुवे एक सपा के बड़े नेता और पूर्व विधायक प्रत्याशी भी थी।
फिजाओं में तैरती बेवफा बातो पर ध्यान दे तो इस साईट की रजिस्ट्री बिल्डर साहब ने अपने पार्टनर के नाम करवा दिया था। अब पार्टनर का भी पक्ष सुनना ज़रूरी है कि पार्टनर ने पूर्व विधायक प्रत्याशी साहब का बड़ा अमाउंट बिल्डर साहब के साथ लगवाया था। जिसकी प्रॉफिट और मूल साईट कम्प्लीट न होने से फंसी हुई थी। पार्टनर साहब ठहरे नेता जी के करीबी और नेता जी ने पार्टनर साहब के कहने पर पैसे लगाया था। इसी बीच नई सड़क के छोटे कद के बड़े आदमी ने नेता जी से संपर्क किया और नेता जी ने पार्टनर साहब को बुलवा कर उस साईट को बड़े आदमी के नाम से पलटी करवा दिया।
अब बात जब ई बिल्डर साहब को पता चली तो बिल्डर साहब को काटो तो खून नही। इत्तिफाक से बिल्डर साहब रेशम कटरा वाली साईट पर थे तब तक वही पार्टनर साहब आ गए और मामले में चिहा-चाहि चालु हुई। फिर चिहा चाहि तेरी मैया…..! तेरी बहनिया…..! तक पहुची और जब इससे भी मन न भरा तो बात धक्का मुक्की पर आ गई। धक्का मुक्की के बीच ढिशुम-ढिशुम शुरू हुई। इस दरमियान ढिशुम-ढिशुम बढ़ते-बढ़ते हाथो में जूते चप्पल उठाने तक की आ गई। मौके पर लोगो की भीड़ तो इकठ्ठा थी मगर छुडाये कौन?
इसी दरमियान इसकी जानकारी किसी ने इस्पेक्टर साहब को प्रदान कर दिया। जानकारी होने पर इस्पेक्टर साहब जो मणिकर्णिका घाट पर थे तत्काल अपने दल बल मौके पर पहुचे। मगर तब तक वक्त ज्यादा गुज़र गया था और दोनों पक्ष अपने अपने रस्ते चले गए। पोस्ट लिखे जाने तक किसी भी पक्ष के तरफ से तहरीर दिलने की जानकारी तो सामने नही आ रही है, मगर फिजाये में तैरती बेवफा बातो ने माहोल को खुसुर फुसुर का रखा है। अब देखना होगा कि नेता जी की भूमिका इस मामले में क्या सामने आती है। क्या नेता जी की अना शिकार होती है और वह अना से अपने ,सबको फनाह कर देंगे। या फिर मूकदर्शक बने रहेगे ? शायद पिक्चर अभी बाकी है।
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