तारिक आज़मी (इनपुट: आदिल अहमद)
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के रूरा थाना क्षेत्र स्थित मडौली गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान कल सोमवार को एक महिला और उसकी बेटी ने कथित तौर पर अपनी झोपड़ी में खुद को आग लगा ली, जिससे दोनों की मौत हो गई। जबकि परिजनों का आरोप है कि अतिक्रमण हटाने के लिए आई टीम ने झोपड़ी में उस समय आग लगा दिया जब अन्दर महिलाए थी। इस आग में माँ-बेटी की मौत हो गई। आज मंगलवार को इस मामले में उप-जिलाधिकारी (एसडीएम), थानाध्यक्ष, चार लेखपालों, एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। साथ मिल रही जानकारी के अनुसार एसडीएम को निलंबित कर दिया गया है। मृतकों की शिनाख्त प्रमिला दीक्षित (45 वर्ष) और उनकी बेटी नेहा दीक्षित (20 वर्ष) के रूप में हुई है।
पुलिस महानिरीक्षक (कानपुर रेंज) प्रशांत कुमार ने कहा कि एसडीएम (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है। मामले में पीड़ित परिजनों की तहरीर पर हत्या, हत्या के प्रयास के अलावा मवेशियों को मारने या अपंग करने, घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाने और जान-बूझकर अपमान करने के आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही पीड़ितों के घर को गिराने में इस्तेमाल की गई जेसीबी को जब्त कर लिया गया है।
इस सबके बावजूद भी परिजन शव को पोस्टमार्टम हेतु देने को राज़ी नही थे, जिसके बाद उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से परिजनों की वीडियो काल पर बात करवाने के बाद परिजन अंतिम संस्कार को राज़ी हुवे है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने पीड़ित परिवार से वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की। पीड़ित परिवार ने आरोपियों पर कार्रवाई, खेती के लिए जमीन, मुआवजा, सरकारी नौकरी और सुरक्षा की मांग की। बृजेश पाठक ने परिवार को कार्रवाई का आश्वासन दिया। डिप्टी सीएम से बातचीत के बाद पीड़ित परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुआ। पुलिस ने जेसीबी ड्राइवर दीपक को गिरफ्तार कर लिया है। लेखपाल अशोक सिंह को भी हिरासत में लिया गया। लिखा-पढ़ी के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। एसडीएम को सस्पेंड कर दिया गया। आईजी रेंज कानपुर ने अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया।
क्या है पूरा मामला ?
कानपुर देहात की मैथा तहसील के मड़ौली गांव में रहते हैं गेदनलाल। कुछ समय पहले गेदनलाल ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित और उनके बेटों अंश दीक्षित और शिवम दीक्षित आदि के खिलाफ शिकायत की। शिकायत में कहा गया कि इन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर मकान बनाया है। शिकायत के बाद 13 जनवरी, 2023 को एसडीएम मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर, लेखपाल अशोक सिंह चौहान ने जेसीबी से मकान ढहा दिया। आरोप है कि पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व नोटिस और सूचना के ही घर गिरा दिया।
पीड़ित कृष्ण गोपाल दीक्षित और उनके पुत्र शिवम ने परिजनों के साथ लोडर से बकरियां लेकर माती में डीएम मुख्यालय में धरना दिया। उन्होंने नया आवास मुहैया कराए जाने की मांग की। आरोप है कि एसडीएम मैथा व एडीएम प्रशासन केशव गुप्ता ने उनको माफिया बता दिया। साथ ही बचा मकान भी ध्वस्त कराने की चेतावनी दी। इस दरमियान मकान गिराए जाने के बाद कृष्ण गोपाल दीक्षित का परिवार एक छप्पर डालकर रहने लगा। 14 जनवरी को तहसीलदार अकबरपुर रणविजय सिंह ने कृष्ण गोपाल दीक्षित, प्रमिला, शिवम, अंश, नेहा, शालिनी, आदित्य शुक्ला और गौरव शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
क्या है आरोप ?
इसके बाद कल सोमवार, 13 फरवरी को करीब 3 बजे एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, कानूनगो, लेखपाल अशोक सिंह, रूरा एसएचओ दिनेश कुमार गौतम अपने 12 से 15 पुरुष-महिला सिपाहियों के साथ कृष्ण गोपाल के घर पर आए। पीड़ित द्वारा आरोप है कि इस दरमियान परिवार के लोग छप्पर में ही आराम कर रहे थे। अन्दर 22 बकरियां भी थीं। जेसीबी ड्राइवर दीपक ने झोपड़ी को गिरा दिया। कृष्ण गोपाल के बेटे शिवम ने आरोप लगाते हुवे कहा है कि छप्पर गिराया जा रहा था तभी एसडीएम मैथा द्वारा कहा गया कि आग लगा दो झोपड़ी में कोई बचने न पाए। इसके बाद लेखपाल अशोक सिंह ने उसमें आग लगा दी। शिवम के मुताबिक किसी तरह से वो और परिवार के कुछ लोग बचकर झोपड़ी से बाहर निकले। इसके बाद एसएचओ दिनेश गौतम व अन्य 12 से 15 पुलिस कर्मियों ने उन्हें पीटा। इस दौरान शिवम की मां प्रमिला दीक्षित और बहन नेहा दीक्षित झोपडी के अंदर फंस गईं और आग में जलकर उनकी मौत हो गई। उधर, इस घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने कहा कि आग मां-बेटी ने खुद लगाई।
दो महिलाओं की मौत के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए। ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को दौड़ा लिया। अफसरों ने भागकर अपनी जान बचाई। देर रात तक बवाल चलता रहा। फिर कानपुर कमिश्नर राज शेखर, डीएम नेहा जैन, एडीजी आलोक कुमार समेत अन्य अफसर मौके पर पहुंचे और देर रात तक डटे रहे। राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी पहुंचीं। परिजनों की शिकायत पर एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, रुरा एसएचओ दिनेश गौतम, लेखपाल अशोक सिंह समेत 40 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। एफआईआर के अनुसार, रूरा थानाध्यक्ष दिनेश गौतम और अन्य 15 पुलिसकर्मियों ने बाहर बचकर निकले पिता और बेटे को आग में फेंकने की कोशिश की। इस पूरी घटना में मां-बेटी समेत 22 बकरियों की भी दर्दनाक मौत हो गई।
गर्म हुई सियासत
इस मामले में सियासत भी गर्म हो गई है। चंद्रशेखर आज़ाद ने ट्वीट कर सरकार पर तंज़ कसा है। फोटो पोस्ट करते हुवे चंद्रशेखर ने लिखा है कि “प्रधानमंत्री जी! आवास झोपड़ी में था। मुख्यमंत्री जी..! माफिया नहीं, गरीब की झोपड़ी पर बुलडोजर चला है। सरेआम, शासन मां -बहनों को जिंदा जला रहा है! यह प्रधानमंत्री आवास योजना का सच है कि आज भी लोग झोपड़ी में रह रहे है एवं यूपी सरकार की कातिलाना शासन व्यवस्था के शिकार हो रहे है।“
वही आज मंगलवार को समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल पीड़ित परिवार से मुलाकात करने जाने वाला था जिसको सुरक्षा कारणों से रोक दिया गया। समाजवादी पार्टी ने इस मामले में सरकार को घेरते हुवे अपने ऑफिसियल ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट किया है और लिखा है कि “कानपुर में योगी सरकार के प्रशासन द्वारा उत्पीड़न का शिकार होकर अपनी जान गवाने वाली प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा दीक्षित के परिजनों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को रोका जाना सरकार की मंशा जाहिर करता है। समाजवादी पार्टी पीड़ित परिवार के साथ है !”
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