तारिक़ खान
डेस्क: अडानी समूह के खिलाफ हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह के शेयर का भाव जहा औंधे मुह गिर रहा है, वही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस कंपनी की साख लगभग डगमगा चुकी है। अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज ने अपनी लिस्टिंग में से अडानी ग्रुप के शेयर अडानी इंटरप्राईजेज़ को हटा दिया है तो कई विदेशी इन्वेस्टर्स ने भी अपने विश्वास को अडानी समूह से उठाया है। वही इसके बाद से अडानी समूह की मुश्किलें कम होने का नाम लेती नही दिखाई दे रही है।
निर्मला सीतारमण ने मुंबई में कहा कि रेगुलेटर्स अपना काम करेंगे। आपको पता ही है कि शुक्रवार को आरबीआई ने इस मामले पर क्या टिप्पणी की है। और आरबीआई से पहले बैंकों और एलआईसी ने भी आगे आकर अपना बात रखी है। तो ऐसे में अब रेगुलटेर्स अपना काम करेंगे। और मैं आपके सामने ये साफ कर दूं कि देश में रेगुलेटर्स स्वतंत्र रूप से बैगर किसी दबाव के काम करते हैं। और उन्हें सरकार की तरफ से जो सही है वो करने की पूरी छूट है।
बताते चले कि यह बयान ऐसे समय आया है जब गोल्डमैन सैच और जेपी मोर्गन ने कुछ ग्राहकों से कहा कि गौतम अडाणी के व्यापारिक साम्राज्य से संबंधित बांड कुछ संपत्तियों की ताकत के कारण मूल्य की पेशकश कर सकते हैं। जेपी मॉर्गन के क्रेडिट विश्लेषकों ने ग्राहकों के लिए एक नोट में कहा कि उन्होंने कुछ अडाणी ऑपरेटिंग कंपनियों के ऋण में मूल्य देखा है। इन सबके बारे में मीडिया बता रहा है और पोजिटिव मूड भी दिखा रहा है. मगर दूसरी तरफ निगेटिव खबरे आपके सामने से बच कर दब जा रही है।
अगर इस तरह देखे तो दो रेटिंग कंपनियों के अपने अपने बयान है। एक तरफ रेटिंग कंपनी फिंच अपने बयान में कहती है कि अडानी के पास कैश फ्लो है तो रेटिंग नही बदल सकती है, जिसकी बात मीडिया कर भी रहा है। मगर दूसरी तरफ एक अन्य रेटिंग कंपनी की बात सामने लोगो के मीडिया नही रख रहा है जिसका बयान है निगेटिव है। दूसरी रेटिंग कंपनी मोडीज़ ने कहा है कि अडानी के लिया फंड्स जुटाना अब मुश्किल है। ऐसे में निर्मला सीतारमण के बयान का आना अडानी समूह के लिए बुरी खबर साबित हो सकता है।
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