तारिक़ खान
कानपुर की घटना की आवाज़ अभी कम भी नही हुई है कि अब सीतापुर प्रशासन द्वारा की जा रही बुलडोज़र कार्यवाही चर्चा और आलोचनाओं के केंद्र में है। कानपुर देहात के रूरा थाना क्षेत्र में एक गरीब की झोपड़ी बुलडोजर से गिराए जाने के दरमियान जिंदा जलकर मरी माँ-बेटी के चिता की आग भी ठंडी नही हो पाई है, कि अब सीतापुर में प्रशासन की बुलडोज़र कार्यवाही सवालो के घेरे में आ रही है। सीतापुर प्रशासन पर आरोप है कि उसने अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक गरीब कैसर पीड़ित की आटा चक्की पर बुलडोज़र चला दिया जो सरकारी ज़मींन पर था। पीड़ित का आरोप है कि वह अपने कैसर पीड़ित होने की गुहार लगाता रहा मगर किसी अधिकारी का दिल नही पसीजा।
सरकारी संपत्ति पर बने एक झोपड़ी में आटा चक्की चलाने वाले विनीत का आरोप है कि उसको इतना समय भी नही दिया गया कि अन्दर से वह अपना कंप्यूटर, और गल्ला तक निकाल पाता। उसके इस झोपड़ी पर सरकारी अधिकारी बुलडोज़र चलाते रहे। वह खुद को कैंसर पीड़ित बताकर घर और आटा चक्की को नहीं हटाने की गुहार लगता रहा मगर किसी अधिकारी का दिल नही पसीजा। उसकी चक्की सहित झोपड़ी को नेस्तनाबूत कर दिया गया। वही जब यह बुलडोज़र मीडिया रिपोर्ट्स की जद में आया और समाजवादी पार्टी ने इसको लेकर सरकार पर तंज़ कसा तो आनन् फानन में जिलाधिकारी अनुज सिंह ने अधिकारियो की एक बैठक बुलाया और मामले में प्रेस नोट जारी कर प्रशासन का पक्ष रखा।
डीएम डीएम अनुज सिंह ने बताया, ” तालाब की जमीन पर विनीत वर्मा ने पक्का निर्माण कराया था। थाना दिवस में शिकायत के बाद तहसील प्रशासन नोटिस देने के बाद पक्के निर्माण को बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया है। विनीत इसी जमीन पर छत डलवाने का प्रयास कर रहे थे। इसी की सूचना पर लेखपाल सहित तहसील प्रधान को मौके पर भेजकर जांच कराई और जांच के बाद अवैध कब्जे को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। इस अवैध निर्माण पर महज चक्की लगाकर कार्य किया जा रहा था। इसमें किसी प्रकार का आवासीय बसेरा नहीं मिला है।” अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई के बाद युवक की मां ंने बेटे को कैंसर पीड़ित बताते हुए प्रशासन द्वारा नाइंसाफी का आरोप लगाया था। डीएम ने बताया, ” युवक के कैंसर और बीमारी की जांच कराई जा रही है। इस पूरे प्रकरण में किसी भी प्रकार की नाइंसाफी नहीं की गई है, सिर्फ तालाब की जमीन पर अवैध पक्के निर्माण को ध्वस्त कराया गया है।” जिलाधिकारी ने कहा है कि विनीत को इलाज हेतु सरकारी इमदाद बीमारी की पुष्टि होने पर की जाएगी।
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