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“3 इडियट्स” के किरदार “फुनसुक वांगडू” मैग्सेसे सम्मानित इंजीनयर जिस सोनम वांगचु से था प्रेरित, उन्होंने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा केंद्र की नीतिया युवाओं को अलग थलग कर रही है

आफताब फारुकी  

आपको 3 इडियट्स फिल्म तो याद ही होगी। फिल्म में आमिर खान का नाम शुरू में बतौर स्टूडेंट रैंचो, यानी रणछोर दास झंझाड़ रहता है। फिल्म में पढाई ख़त्म करने के बाद रणछोड़ दास झंझाड़ अपने किसी सहपाठी से नही मिलते है, आखिर उनके एक सहपाठी “चतुर” जिसको फिल्म में “सैलेंसर” कहकर भी संबोधित किया जाता है के द्वारा अपनी शर्त याद दिलाने के लिए अन्य सहपाठियों के साथ तलाशा जाता है। फिल्म के आखिर में आमिर खान के कैरेक्टर का नाम ज़ाहिर होता है। असली किरदार में जब वह आते है तो फिल्म के आखिर में यह मालूम चलता है कि उनका नाम फुनसुक वांगडू है।

दरअसल, लद्दाख के निवासी मैग्सेसे से सम्मानित इंजिनियर सोनम वांगचुक से प्रेरित यह किरदार फुनसुक वांगडू बनाया गया था। मैग्सेसे सम्मानित शिक्षा सुधारक और इंजीनियर सोनम वांगचुक लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची के तहत भूमि, संस्कृति और नौकरियों की सुरक्षा की मांग उठा रहे है। पिछले दिनों वह उपवास पर थे और उसके बाद उनका हौसला अफजाई को उनकी सभा में उमड़ी भीड़ ने बहुत कुछ बता दिया। सोनम वांगचुक ने कल गुरुवार को द हिंदू से बात करते हुए कहा कि केंद्र की नीति युवाओं को अलग-थलग करते हुए उग्रवाद के बीज बो रही है।

पेशे से इंजीनियर सोनम वांगचुक एक जलवायु कार्यकर्ता भी हैं और उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की मांग को लेकर बीते सप्ताह अपना पांच दिवसीय उपवास समाप्त किया है। उनके आंदोलन को खत्म करने के लिए लेह में लगभग 2,000 लोगों ने रैली में भाग लिया था। ज्ञात हो कि 5 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्य की विशेष स्थिति को रद्द  करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था, जहां लद्दाख को विधानसभा नहीं दी गई थी।

सोनम वांगचुक ने इस साक्षात्कार में कहा है कि ‘डर यह नहीं है कि लोग भारत के खिलाफ हो जाएंगे, डर यह है कि भारत के लिए प्यार कम हो जाएगा और ऐसा होना उस देश के लिए खतरनाक है जो चीन का सामना कर रहा है। मुंबई और दिल्ली के लोगों के विपरीत यहां के लोगों ने युद्ध के दौरान सेना के लिए कुलियों का काम करके और भोजन पहुंचाकर उनकी मदद की है।’ उन्होंने कहा कि बेरोजगारी और नागरिकों के खिलाफ ‘छठी अनुसूची’ की बात सावजनिक तौर पर बोल भर देने को लेकर हुई अंधाधुंध पुलिस कार्रवाई ने इस भावना को बढ़ाया है और हर तरफ से एफआईआर दर्ज हो रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब मैं खारदुंग ला में उपवास करना चाह रहा था, तो मुझे घर में नजरबंद कर दिया गया। चार दिन पहले लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी)लेह के एक स्टेडियम में आइस हॉकी प्रतियोगिता के समापन पर पुरस्कार वितरण समारोह के लिए आए थे। उन्हें देखते ही बच्चे छठी अनुसूची के नारे लगाने लगे। उन्हें थाने ले जाया गया। क्या अब सार्वजनिक रूप से छठी अनुसूची कहना अपराध हो गया है?’ सोनम वांगचुक ने कहा है कि 12 हज़ार नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन सिर्फ 800 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। उन्होंने यह दावा भी किया कि छठी अनुसूची के पक्ष में मैसेज पोस्ट करने को लेकर एक पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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