ईदुल अमीन
डेस्क: बच्चों पर अच्छा करने का दबाव इस कदर हावी है कि कभी-कभी ये उनकी जान पर भारी पड़ जाता है। कभी ये दबाव परिवार से मिलता है तो कभी बच्चे खुद इसे ले लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजधानी लखनऊ से। जहाँ मोहनलालगंज में डीफार्मा प्रथम वर्ष के छात्र आशुतोष श्रीवास्तव (22) ने आत्महत्या कर लिया। घटनास्थल से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है।
इंस्पेक्टर कुलदीप दुबे के मुताबिक, गोंडा के छपिया चारू निवासी बृजेश श्रीवास्तव निजी कंपनी में काम करते हैं। बेटा आशुतोष गौरा गांव में किराये के मकान में रहता था और एक निजी कॉलेज से डी-फार्मा का प्रथम वर्ष का छात्र था। सोमवार को परीक्षा के बावजूद कॉलेज नहीं गया। आशुतोष ने कॉल रिसीव नहीं की तो शाम को दोस्त कमरे पर पहुंचे। कई बार आवाज देने के बाद भी दरवाजा नहीं खोला तो पुलिस को सूचना दी।
इंस्पेक्टर के मुताबिक, दरवाजा तोड़ा तो आशुतोष पंखे से दो गमछों के सहारे लटका हुआ था। तखत पर सुसाइड नोट मिला। इसमें लिखा कि आईएम वेरी सॉरी एवरी वन…सारी भईया, सॉरी मम्मी-पापा। मुझे लगता है कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा, मम्मी-पापा के सपनों को साकार नहीं कर पाऊंगा, मुझे माफ करना, जिनको मैं अच्छा नहीं लगता उनकी भी टेंशन दूर हो जाएगी। इससे लगता कि छात्र पढ़ाई को लेकर तनाव में था।
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