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कही ‘लठमार’ तो कही ‘कुर्ताफाड़’ कही ‘हल्दी पानी’ तो कही ‘हंटर वाली होली’ देश में मनाया जा रहा विभिन्न तरीके से होली का त्यौहार, जाने होली के विभिन्न रंग

शाहीन बनारसी

देश में आज होली मनाया जा रहा है। प्यार और उल्लास का पर्व होली देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न भिन्न नाम से भी जाना जाता है। सभी जगहों को अगर गौर से देखे तो होली खेलने का तरीका अलग अलग होता है। कही ‘कुर्ताफाड़’ होली होती है तो कही ‘लठमार’, कही मटके फोड़े जाते है तो कही कपडे फाड़े जाते है। तरीका कोई भी हो सबका एक उद्देश्य होता है कि होली की मस्ती में सराबोर हो जाए। आइये आपको देश के विभिन्न हिस्सों में मनाये जा रहे इस होली के अलग अलग रंगों से रूबरू करवाते है।

केरल की ‘मंजुल कुली’ जिसमे रंग नही हल्दी-पानी होता है

केरल में होली के खास उत्सव को मंजुल कुली के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग पहले दिन गोसरीपुरम थिरुमा के कोंकणी मंदिर जाते हैं और रंगों के बजाय पानी और हल्दी से होली खेलते हैं। रंगों का त्योहार पारंपरिक लोक गीत गा कर मनाते हैं। केरल में होली खेलने का ये सूक्ष्म तरीका अपने आप में अनूठा है।

गीत संगीत वाली कुमाउनी होली

उत्ताखंड में होली विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यहां होली पर संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जिसे बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली कहते हैं। यहां बसंत पंचमी के दिन से ही होल्यार प्रत्येक शाम घर-घर जाकर होली गाते हैं और ये उत्सव लगभग 2 महीनों तक चलता है।

पश्चिम बंगाल की ‘दोल उत्सव

उत्तर भारत में जिसको हम होली कहते हैं उसको पश्चिम बंगाल में ‘दोल उत्सव’ (dol purnima) के नाम से जानी जाती है। इसे वसंतोत्सवभी कहते हैं। इस खास मौके पर यहां की महिलाएं पीले रंग के कपड़े पहनती हैं और पूरे बंगाल में रंगों से होली खेलती हैं। इतना ही नहीं इस खास मौके पर रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीत गाए जाते हैं और स्थानीय नृत्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। अगले दिन ‘डोल जात्रा’ का उत्सव होता है, जिसमें भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ संगीतमय जुलूस निकाला जाता है। ‘जात्रा’ के दौरान एक दूसरे पर लोग रंगों की बौछार करते हैं।

बिहार का ‘फगुआ’ छाता पटोरी होली और ‘कुर्ता फाड़ होली’

बिहार एक है लेकिन यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में होली मनाने के तरीके अनेक हैं। हालांकि इस त्योहार को यहां होली या फगुआ के नाम से ही जानते हैं। मिथिला में बनगांव की होली, झुमटा की होली, मगध में बुढ़वा मंगल होली, समस्तीपुर में छाता पटोरी होली और कुर्ता फाड़ होली काफी मशहूर है। बिहार में होलिका दहन का भी खास महत्व होता है।

महाराष्ट्र की रंग पंचमी

रंग पंचमी होली के पांचवे दिन चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी पर मनाई जाती है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी का रंग देखने लायक होता है। यहां इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र के अलावामध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में रंग पंचमी काफी प्रचलित है। हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन देवी-देवता रंगों से होली खेलते हैं।

उत्तर प्रदेश में बरसाने की ‘लट्ठमार’ होली

कान्हा की सखी राधा के जन्म स्थान मथुरा के बरसाने में खास तरह से होली मनाई जाती है। यहां की लट्ठमार होली दूनियाभर में मशहूर है। होली का ये खास अंदाज राधा रानी के प्रेम का प्रतीक हैं। इसमें बरसाने की महिलाएं मजाकिया अंदाज में पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और ग्वाले बने पुरुष ढाल से खुद की रक्षा करते नजर आते हैं। यहां खेली जाने वाली लट्ठमार होली में प्रयोग होने वाले रंग टेसू के फूलों से बनाया जाता है।

हरियाणा की ‘धुलेंडी’ होली यानी हंटर वाली होली

दुनियाभर में बरसाने की लट्ठमार होली की तरह हरियाणा की कोड़े (हंटर) वाली होली की भी अपनी खास पहचान है। हरियाणा में इस होली को दुलंडी या धुलेंडी के नाम से जानते हैं। हरियाणा में धुलेंडी के दौरान भाभियां अपने देवरों को पीटती हैं और उनके देवर सारे दिन उन पर रंग डालने की फिराक में रहते हैं। कहा जाता है कि, हरियाणा में कोड़ा मार होली की परंपरा 800 साल पहले शुरू हुई थी और आज के दौर में भी गांवों से लेकर शहरों के गली-मोहल्लों तक धुलेंडी इसी खास अंदाज में मनाई जाती है। हालांकि देशभर में आमतौर पर होली का त्योहार 2 ही दिन का होता है लेकिन हरियाणा में महिलाएं फाल्गुन का महीना शुरू होते ही होली की परंपरा निभाना शुरू कर देती हैं। फाल्गुन महीने की शुरुआत से लेकर होलिका दहन तक गली-मोहल्लों में निकलने वाले सभी पुरुष चाहे वो छोटा बच्चा हो या फिर बुजुर्ग। हर किसी पर महिलाएं पानी फेंकते नजर आती हैं।

वृंदावन की फूलों वाली होली

वृन्दावन की फूलों वाली होली पूरी दुनिया भर में मशहूर है। विदेशी सैलानी भी खास इस होली को देखने के लिए यहां आते हैं और ताजे फूलों की पंखुड़ियों के साथ फूलों की होली खेलते हैं। यहां होली की शुरुआत 7 दिन पहले ही हो जाती है।

जयपुर की रॉयल होली

जयपुर में कुछ अलग अंदाज में होली देखने को मिलता है। इस खास मौके पर सिटी पैलेस के राजघराने हर साल अपने कॉन्डोमिनियम में भव्य समारोह का आयोजन करते हैं जो स्थानीय लोगों और विदेशी पर्यटकों के बीच होली के उत्साह को प्रज्वलित करता है। हर साल जयपुर में इस त्योहार के दौरान भारी भीड़ उमड़ती है। जयपुर की रॉयल होली काफी शानदार और भव्य होती है।

शिग्मो यानी लोक नृत्य वाली होली

गोवा में होली के इस त्योहार को शिग्मो कहा जाता है। इस मौके पर लोग रंग खेलते हैं। साथ ही पूरे राज्य में पारंपरिक लोक नृत्य और पौराणिक दृश्यों की झांकी के साथ विशाल जुलूस निकालते हैं।

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