शाहीन बनारसी
काशी एक जिंदादिल शहर है। इस शहर की खासियत इसकी अल्हड मौज मस्ती है। काशी के सम्बन्ध में एक गीत “जिसने भी छुआ वह स्वर्ण हुआ, लोग कहे मुझे मैं पारस हु, मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं जिंदा शहर बनारस हु।” काशी की मशहूरियत इसी से अंदाज़ लगा सकते है कि यहाँ श्मशान घाट पर चिता भष्म से साधू-संत होली खेलते है।
जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर गायत्री नन्द गिरी ने खेली ‘मसाने की होली’
जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर गायत्री नन्द गिरी ने अपने अनुयाइयो के साथ मसाने में होली खेली। इस दरमियान उन्होंने अपने भक्तो को चिता भस्म लगा कर उनके साथ होली खेली और भक्तो को आशीर्वाद दिया। दिल्ली से आये गायत्री नन्द गिरी का आशीर्वाद लेने के लिए श्मशान घाट पर काफी भक्तो की भीड़ इकठ्ठा थी। रीति के अनुसार उन्होने श्मशान पर ही विधि अनुरूप पूजा किया।
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