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जामिया हिंसा प्रकरण: शरजील इमाम, शगूफा जरगर सहित अन्य आरोपियों को साकेत कोर्ट द्वारा बरी करने के हुक्म को दिल्ली हाई कोर्ट ने किया रद्द

आफताब फारुकी

नई दिल्ली: 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत द्वारा शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तनहा और अन्य आठ लोगो को दोषमुक्त किये जाने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने पलटते हुवे आज मंगलवार को उन पर दंगा करने, गैरकानूनी रूप से एकत्र होने का आरोप लगाया। इस खबर को बार और बेंच ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

मामले में आज सुनवाई करते हुवे दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि  हालांकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से इनकार नहीं किया गया है, यह अदालत अपने कर्तव्य के बारे में जागरूक है और इस तरह से इस मुद्दे को तय करने की कोशिश की है। शांतिपूर्ण सभा का अधिकार प्रतिबंध के अधीन है। संपत्ति को नुकसान और शांति भंग के मामलों में संरक्षण नहीं दिया जा सकता।’

बताते चले कि बीते 4 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही, इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया। फैसला सुनाते हुए साकेत जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने कहा था, ‘असहमति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का विस्तार है।’ इस मामले में शरजील, आसिफ इकबाल और सफूरा के अलावा जिन अन्य लोगों को आरोपमुक्त किया गया था उनमें मोहम्मद अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शाहजर रजा खान और चंदा यादव शामिल थे।

इस प्रकरण में सिर्फ मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, जिनके ऊपर टायर जलाने का आरोप था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट का रुख किया था। जब यह मामला 13 फरवरी को जस्टिस शर्मा के सामने आया, तो न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस की प्रार्थना के अनुसार ट्रायल कोर्ट की टिप्पणी को हटाने के लिए एक अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी से मामले की चल रही जांच प्रभावित नहीं होगी।

बार एंड बेंच के मुताबिक, अदालत ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से उलट दिया और शरजील, आसिफ इकबाल और सफूरा सहित 11 आरोपियों में से 9 के खिलाफ दंगा और गैरकानूनी तरीके से जमा होने सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप तय किए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ शरजील, सफूरा, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम और चंदा यादव पर अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 149 (सार्वजनिक शांति भंग करना), 186 (लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकना), 353 (लोक सेवकों पर हमला) और धारा 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाना) के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं।

दूसरी ओर, आरोपी मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजर पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए गए हैं और अन्य सभी अपराधों से मुक्त कर दिया गया है। वहीं आसिफ इकबाल तनहा को आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), 341 (गलत संयम की सजा) और 435 (आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) से मुक्त कर अन्य धाराओं के तहत आरोपित किया गया है। बताते चले कि जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा के संबंध में एक एफआईआर दर्ज की गई थी।

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