National

‘गज़वा-ए-हिन्द’ मामले में एनआईए का 3 राज्यों में 7 जगहों पर छापेमारी, जाने आखिर क्या है ‘गज़वा-ए-हिन्द’ की असली हकीकत जिससे महज़ गुमराह करते है कठमुल्लाह ‘नवजवानों’ को

तारिक़ आज़मी

डेस्क: जाँच एजेंसी एनआईए ने ‘गज़वा-ए-हिन्द मामले में आज 3 राज्यों की 7 जगहों पर छापेमारी की है। एनआईए एक केस की जाँच के सिलसिले में कार्यवाही कर रही है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, गुजरात, महाराष्ट्र के नागपुर, और मध्य प्रदेश के ग्वालियर की सात जगहों पर ये छापेमारी हुई है। बताया गया है कि देश विरोधी चरमपंथी ग​तिविधियों में शामिल संदिग्धों की तलाश में ये छापेमारी हुई है।

यह मामला सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिए मुस्लिम युवाओं का ‘ब्रेनवॉश’ करके उनका हिंसक चरमपंथी गतिविधियों में इस्तेमाल करने से जुड़ा है, जिससे कि भारत में तथाकथित इस्लामी शासन की स्थापना हो सके। एनआईए ने पिछले साल 22 जुलाई को पटना के फुलवारी शरीफ़ थाने में यह मामला दर्ज किया था। उस मामले में गिरफ़्तार अभियुक्त मरगब अहमद दानिश के बारे में एनआईए ने पहले दावा किया था कि वो ‘गज़वा-ए-हिंद’ नामक व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए कई लोगों और विदेशी संस्थाओं के संपर्क में थे।

आखिर है क्या ये ‘गज़वा-ए-हिंद’ जिसके नाम पर किया जाता है नवजवानों को गुमराह

दरअसल अगर इस्लाम का गहराई से ‘मुताइल्ला (अध्ययन) करे तो लफ्ज़ ‘गज़वा-ए-हिंद’ आपको दिखेगा। मगर इसकी तफसील का ज़िक्र अमूमन लोग नहीं करते है। तसीलात इसकी हदीसो में बयान है। मगर फिर भी अमूमन लोगो के दिल में भ्रांतियां सबसे अधिक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के द्वारा पैदा की जाती रही है। आज हम आपको इसका ज़िक्र और इस ज़िक्र की वजूहात भी बताते है।

‘गज़वा-ए-हिंद’ का नहीं है हमारे मुल्क से कोई ताल्लुक  

‘गज़वा-ए-हिंद’ के मुताल्लिक हदीसो में भी तस्किरा है और अन्य इस्लामी किताबो में भी तस्किरा है। मगर इस एक लफ्ज़ ‘गज़वा-ए-हिंद’ को लेकर आवाम के बीच में गुमराही कतिपय लोग पैदा करते रहते है। हमने इस सम्बन्ध में एक लम्बे वक्त तक किताबो के पन्ने पलते है। जिसका निचोड़ यानी निष्कर्ष हम आपके सामने रख रहे है। बेशक जो ‘गज़वा-ए-हिंद’ को लेकर मुगालते पाले हुवे लोग है उनके आँखों की पट्टी तो शायद नही खुल पाए और उन लोगो ने ऐसी किताबो के नाम भी नही सुने है।

हमने इस सम्बन्ध में शाह नेमतुल्लाह शाह वली की किताब गंज-ए-तिलिस्म के उर्दू अनुवाद को पढ़ा जिसमे थोडा तफसील से जिक्र है। ख़ास तौर पर अपनी पेशनगोई (भविष्यवाणी) के लिए मशहूर नेमतुल्लाह शाह वली का जन्म 14 सदी के शुरू में सीरिया में हुआ था। उन्होंने कई किताबे लिखे जो सभी ‘फारसी भाषा’ में है। इनका उर्दू तर्जुमा भी किताबो के दूकान पर उपलब्ध हो जायेगा। रूचि के अनुसार आप उसको लेकर पढ़ सकते है।

शाह-नेमतुल्लाह शाह वली के किताब ‘गंज-ए-तिलिस्म’’ जिसका उर्दू अनुवाद अब्द-अल-अजीज ने किया है में भी ‘गज़वा-ए-हिंद’ का ज़िक्र मिला। मगर जो सबसे बड़ी बात है उसको कोई व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का प्रोफ़ेसर किसी को नही बताता है कि ‘गज़वा-ए-हिंद’ क्या है ? क्यों शुरू होगी? कहा से शुरू होगी? जिसके ज़िक्र आपको हदीसो में है बता कर वर्ग्लाने वाले लोग मिल जायेगे। दरअसल सबसे पहले लफ्ज़ ‘गज़वा-ए-हिंद’ में ‘हिन्द’ जिसका मर्तबा काफी है इस्लाम में उसका मायने बता देते है।

‘गज़वा-ए-हिंद’ में क्या है ‘हिन्द’ के मायने जिसका काफी मर्तबा है इस्लाम में    

यहाँ हिन्द का मायने सिर्फ हिंदुस्तान से नही है। इस्लाम में हिन्द का मायने ‘हिन्द मुबालिक मुल्क’ से होता है। यानी हिन्द महासागर के तट पर लगे देशो को हिन्द कहा जाता है। इसमें कई देश शामिल है। इस ‘हिन्द’ का काफी मर्तबा ऊँचा है इस्लाम में। शरियतन सबसे अच्छे लोगो में शुमार ‘हिन्द’ के लोगो का हुआ है। मगर हमारा मकसद इस अजमत को बयान करना नही है। ‘गज़वा-ए-हिंद’ पर बात करना है।

‘गज़वा-ए-हिंद’ जिसका ज़िक्र इस्लाम में है का ताल्लुक ‘दज्जाल’ से है। दज्जाल (इस्लाम की एक भविष्यवाणी, जो भविष्य में आने वाले एक तानाशाह का नाम होगा) गद्दी पर बैठने के बाद अपनी तानाशाही से आम जनता को काफी परेशान कर देगा और खुद को ‘भगवान’ घोषित कर देगा। एक ऐसा भगवान जो उसको भगवान न मानने वाले के याताना देगा। किसी को किसी और की उपासना न करने देगा और खुद की उपासना करवाएगा। उसका नाम ‘दज्जाल’ होगा। कुछ लोग इसको ‘कनवा दज्जाल’ जैसे शब्द से भी जानते है। इस दज्जाल का भी सम्बन्ध भारत से नही होगा बल्कि सीरिया जैसे किसी देश से होगा।

शाह नेमतुल्लाह शाह वाली की किताब ‘गंज-ए-तिलिस्म’ में इसका ज़िक्र है। साथ में ज़िक्र है कि ‘दज्जाल एक तिलिस्म का माहिर होगा।’ तिलिस्म मतलब जादू होता है और गंज का मायने जगह होता है। ‘गंज-ए-तिलिस्म’ में इसका वर्णन है कि  ‘दज्जाल’ के ‘फितने’ (षड्यंत्रों) से आम जनता इतनी त्रस्त हो जाएगी कि वह उसके खिलाफ आन्दोलन शुरू कर देगी। इसी आन्दोलन का नाम ‘गज़वा-ए-हिंद’ है। इस प्रकार से किसी भी किताबो में ‘गज़वा-ए-हिंद’ का ताल्लुक भारत से नही है। इस्लामी किसी भी किताब में ‘गज़वा-ए-हिंद’ का ताल्लुक भारत से नही है। मगर कुछ लोग अपने खुद के हितो के लिए इसका ताल्लुक भारत से बताकर नवजवानों को गुमराह करते रहते है।

ऐसे लोगो से नवजवानों को होशियार होने की ज़रूरत है। आप उनकी बातो को सुने तो कितनो को पढ़ कर उस सम्बन्ध में सही जानकारी लेने में क्या हर्ज है। खुद के ज्ञान को समृद्ध करके कठ्मुल्लाओ के बहकावे में ना आये। किताबो से दोस्ती करे क्योकि ये सबसे अच्छी आपकी दोस्त है जो आपका हर लम्हा साथ देंगी। जिंदगी साथ भी और ज़िन्दगी के बाद भी।

pnn24.in

Recent Posts

पटना: बीपीएससी परीक्षार्थियों पर पुलिस ने बरसाया जमकर लाठियाँ, कई अभ्यर्थी घायल

अनिल कुमार पटना: बिहार की राजधानी पटना में बुधवार शाम को बिहार लोक सेवा आयोग…

10 hours ago

महज़ 24 घंटे के अन्दर चोरी गए मोबाइल सहित शातिर चोर को लोहता पुलिस ने धर दबोचा

मो0 सलीम वाराणसी: लोहता पुलिस ने मोबाइल चोरी की एक घटना का सफल खुलासा करते…

11 hours ago

संसद भवन के सामने एक व्यक्ति ने खुद को पेट्रोल छिड़क कर लगाया आग, गंभीर रूप से घायल अवस्था में पुलिस ने करवाया आरएमएल में भर्ती

फारुख हुसैन डेस्क: आज दिल्ली संसद भवन के पास एक व्यक्ति ने अज्ञात कारणों से खुद…

13 hours ago