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उमेश पाल हत्याकांड में गिरफ्तार ‘सदाकत खान हाई कोर्ट का अधिवक्ता नही है’ ये बात पक्की है, भाजपा फोटो ट्वीट कर कहती है सपाई है, सपा फोटो ट्वीट कर कहती है भाजपाई है, जाने आखिर कौन है सदाकत खान

तारिक़ आज़मी (इनपुट: तारिक़ खान)

डेस्क: प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड की कड़ियाँ जेलों तक पहुच रही है। मुख्य साजिशकर्ता माफिया डॉन अतीक के भाई अशरफ को पुलिस बता रही है। मगर इस पुरे हत्याकांड की एक एक कड़ियाँ सदाकत खान के हाथो होकर गुजरी है, इसको साफ़ साफ़ पुलिस बता चुकी है। सदाकत खान के बारे में जानकारी पहले निकल कर आती है कि वह एलएलबी किये हुवे है और हाई कोर्ट में वकालत करता है। मगर कल शाम हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने साफ़ साफ़ पत्र जारी करके बता दिया कि वह अधिवक्ता तो नही है। अगर है भी तो उनके यहाँ का पंजीकृत अधिवक्ता नही है।

इस दरमियान पोस्टर और फोटो वार भी शुरू हो चूका है। पहले भाजपा सदाकत खान का फोटो अखिलेश यादव के साथ ट्वीट कर उसके सपा कार्यकर्ता होने का दावा करती है। फिर कल शाम सपा कहा पीछे रहने वाली थी उसने भी सदाकत खान का एक फोटो ट्वीट कर उसके भाजपा कार्यकर्ता होने का दावा किया। इस दरमियान पुलिस ने कई बड़े खुलासे भी कर डाले कि इस हत्याकांड के तार साबरमती जेल में बंद अतीक और बरेली जेल में बंद अशरफ से जुड़े हुवे है और एक नही बल्कि कुल 13 शूटर मौके पर थे। जिसमे 6 शूटर वारदात को अंजाम दे रहे थे और उनके बैकअप के लिए 7 शूटर और भी मौजूद थे। हत्याकांड की पूरी प्लानिंग मुस्लिम होस्टल में बनी थी।

अब सवाल कई खड़े हो रहे है कि आखिर पुरे खुलासे में किस रिसोर्स ने मुह खोल कर सब कुछ बताया है। तो एक नाम ज़ेहन में आता है वह है इस हत्याकांड में गिरफ्तार होकर जेल जा चुके सदाकत खान का। दावा किया गया कि सदाकत खान 27 साल का नवजवान अधिवक्ता है। मगर कल ही बार काउन्सिल ने कहा कि नही वह उनके यहाँ का पंजीकृत अधिवक्ता नही है। फिर सवाल खड़ा होता है कि आखिर सदाकत खान कौन है? क्या है उसका इतिहास और भूगोल। क्या वह सपा से जुडा है अथवा भाजपा से जुडा हुआ है। क्योकि दोनों ही पार्टी के दावो के साथ तस्वीरे गवाही काफी है देने के लिए। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए आइये जानते है कि आखिर सदाकत खान कौन है?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम हॉस्टल के जिस कमरे में इस हत्याकांड की साजिश रची गई वह कमरा सदाकत खान का था। पुलिस का दावा है कि उसके पास पुख्ता सबूत है कि इस कमरे में ही शूटरों की मीटिंग कई बार हुई थी। प्लानिंग की एक-एक डिटेल यहीं तैयार हुई। यह कमरा सदाकत खान के अवैध कब्ज़े में था। दो साल पहले सदाकत खान को कमरा खाली कर देना था। मगर सदाकत खान इसी कमरे में अवैध रूप से कब्ज़ा करके रह रहा था। जबकि उसकी एलएलबी की शिक्षा 2 साल पहले ही पूरी हो गई थी और वह काला कोट पहन कर हाई कोर्ट जाता था। कुछ माह पहले हॉस्टल में अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई में जिन सात कमरों को सील किया गया था, उनमें सदाकत का भी कमरा शामिल था। मगर, सदाकत ने कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही कमरे का ताला तोड़ दिया और वापस अवैध रूप से इस कमरे पर काबिज़ दाखिल हो गया।

सदाकत खान यूपी के गाजीपुर जिले के बारा का रहने वाला है। शुरुआती पढ़ाई अपने गांव बारा से ही की थी। 4 भाई और एक बहन में वह सबसे छोटा है। सदाकत के पिता शमशाद खान दिल्ली के प्राइवेट कंपनी में गार्ड की नौकरी करते हैं। इसके दो भाई विदेश में रहते हैं, जबकि एक भाई प्राइवेट नौकरी करता है। गांव में सदाकत का किसी से कभी कोई विवाद तक नहीं हुआ और ना ही उस पर कोई मुकदमा है। गांव वालों का कहना है कि सदाकत शरीफ परिवार से है। ऐसे में उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि वो उमेश पाल डबल मर्डर केस में वह शामिल हो सकता है।

अब एक बड़ा सवाल ये है कि सदाकत अपराधियों के संपर्क में कैसे आया? हमारे सूत्रों ने हमको बताया कि कोर्ट-कचहरी में ही सदाकत का संपर्क अतीक गैंग से हुआ था। इसके बाद अतीक अहमद के बेटे अली अतीक अहमद से उसकी गहरी दोस्ती हो गई। उमेश हत्याकांड में उसे लालच देकर जोड़ा गया था। बदमाशों ने उससे कहा था कि विवादित जमीन से जुड़े मुकदमे उसे ही दिए जाएंगे। जब उमेश पाल की हत्या हुई तो उस समय सदाकत खान शूटरों की क्रेटा कार चला रहा था।

सदाकत खान छात्र राजनीति में भी अच्छा दखल रखता था। वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का नेता भी रह चुका है। राजनीति में दिलचस्पी के चलते ही उसका कई बड़े नेताओं के साथ मिलना-जुलना था। भाजपा ने सदाकत की एक फोटो जारी की है जिसमें वो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर आ रहा है। बीजेपी ने दावा किया है कि एलएलबी स्टूडेंट सदाकत समाजवादी पार्टी का करीबी है। बीजेपी के इस फोटो के जवाब में सपा ने भी सदाकत की कुछ तस्वीरें जारी की हैं। इनमें सदाकत बीजेपी की पूर्व विधायक नीलम करवरिया के पति के साथ नजर आ रहा है।

नीलम करवरिया प्रयागराज की मेजा विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं। 2022 का चुनाव हार गई थीं। सपा ने दावा किया है कि सदाकत एक फोटो में भाजपा की नीलम करवरिया के पति उदयभान करवरिया के साथ उनके घर में ही बैठा हुआ है। सपा का कहना है कि इस समय सदाकत भाजपा का सदस्य था। मगर दोनों ही पार्टी के जानिब से एक दुसरे के ऊपर यह आरोप भी हो सकता है। राजनीत वह भी छात्र राजनीत में सक्रिय व्यक्ति के संपर्क हर एक दल से हो सकते है इसमें किसी तरीके से शक शुबहा वाली बाते तो नही है। खास तौर पर छात्र राजनीत सत्ता के रुख के तरफ बदलती रहती है। अमूमन देखा जाए तो जिसकी सत्ता होती है छात्र उससे करीबी दिखाना चाहते है जिससे सामाजिक और प्रशासनिक उनका दबाव बना रहे।

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