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मालेगांव ब्लास्ट प्रकरण: एनआईए कोर्ट में एक और गवाह अपनी गवाही से मुकरा, सीआरपीसी 161 और 164 में गवाही के बाद अपनी गवाही से मुकर कर ‘होस्टाइल’ घोषित होने वाले गवाहों की संख्या पहुची 30

शाहीन बनारसी (इनपुट: सायरा शेख)

नई दिल्ली: 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में कल गुरुवार को अदालत ने एक और गवाह अपने बयान से पलट गया और उसको अभियोजन पक्ष का साथ न देने के बाद ‘होस्टाइल’ घोषित कर दिया गया। इस खबर को खबरिया चैनल एनडीटीवी ने समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से प्रमुखता से उठाया है, और लिखा है कि जब महाराष्ट्र एटीएस मामले की जांच कर रही थी, तब उक्त गवाह ने सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत बयान दिए थे। यह इस मामले में बयान से पलटने वाले ‘होस्टाइल’ गवाहों की तायदात बढ़कर 30 हो गई है। इससे पहले नवंबर 2022 में 29वां गवाह अपने पहले दिए गए बयान से मुकर गया था।

उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर, 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित नासिक के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए। इस मामले के आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं तथा वे सभी जमानत पर हैं।

इस मामले में अदालत ने अक्टूबर 2018 में पुरोहित, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तय कर दिए थे। आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकी साजिश रचना) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 153ए (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। शुरुआत में मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी। 20 जनवरी 2009 को एटीएस ने अपनी जांच पूरी करने के बाद मामले में आरोप पत्र दायर किया था। हालांकि, अप्रैल 2011 में केंद्र सरकार ने मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी।

आज अपनी गवाही से मुकरे गवाह ने साल 2008 में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और सुधाकर चतुर्वेदी के बारे में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को बयान दिए थे। उससे पहले, 28वां गवाह 5 नवंबर 2022 को मुकर गया था, जब उसने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत को बताया था कि उसे वह बयान याद नहीं है जो उसने पहले की जांच एजेंसी महाराष्ट्र एंटी-टेरर स्क्वॉड को दिया था। जबकि इस गवाह ने कथित तौर पर महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के दौरान इस मामले के भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और एक अन्य आरोपी दयानंद पांडे के खिलाफ बयान दिया था।

हालांकि, 5 नवंबर को जब वह विशेष एनआईए अदालत के सामने आए और उनके बयान के बारे में सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि पहले महाराष्ट्र एटीएस को दिए अपने बयान में क्या कहा था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह 75 साल के हैं, इसलिए अपने बयान में जो कहा था उसे याद रखना उनके लिए मुश्किल है। इससे पहले सितंबर और अगस्त में मामले के दो अन्य गवाह इसी अदालत की सुनवाई के दौरान अपने बयान से मुकर गए थे। अप्रैल 2022 में मामले में अभियोजन के एक गवाह ने यह कहते हुए एनआईए अदालत के सामने हाजिर होने से इनकार कर दिया था कि उसकी जान को कथित खतरे के कारण उसे मध्य प्रदेश पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाए।

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