Religion

वाराणसी: ‘चन्दन शहीद बाबा’ का सालाना उर्स मुबारक हुआ संपन्न, हज़ारो जायरीनो ने लगाई आस्ताने पर हाजरी, खाया लंगर

शाहीन बनारसी

वाराणसी: वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र स्थित राजघाट के निकट सभी धर्मो के आस्था के प्रतीक बाबा ‘चन्दन शहीद’ का 3 दिवसीय सालाना उर्स मुबारक आज मुकम्मल हुआ। इस मुक़द्दस मौके पर हज़ारो हिन्दू-मुस्लिम जायरीनो ने आस्ताने पर हजारी लगाया और लंगर भी चखा।

सालाना उर्स के मौके पर आज सुबह बाद नमाज़ फजिर कुरआन ख्वानी हुई और पूरी अकीदत के साथ मुल्क के मुख्तलिफ हिस्सों से आये जायरीनो ने चादर और गागर पेश किया। बाद गुस्ल चादर पोशी हुई और लंगर का तमाम हुआ। इस मौके पर सुबह से चलने वाला लंगर देर रात तक चलता रहा।

पुरे दिन जायरीनो और अकीदतमन्दो के आने का सिलसिला जारी रहा। लोगो ने अपनी मन्नते मांगी और आस्ताने पर हाजरी लगाई। जायरीनो का पुरे दिन हुजूम उमडा हुआ था। लंगर के इंतज़ाम में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरीके की बियानी अलग अलग दो जगहों पर लगी हुई थी। हज़ारो जायरीनो ने भर पेट खाना खाया। साथ ही कई स्टाल सबील के भी लगे जिसमे शरबत और पानी तकसीम किया गया।

शांति और सुरक्षा व्यवस्था के लिए आदमपुर पुलिस ने भी पुख्ता इंतज़ाम कर रखे थे। हर एक तरफ पुलिस बल तैनात किये गए थे। खुद थाना प्रभारी ने कई बार गश्त किया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। ड्यूटी पर महिलाओ की सुरक्षा हेतु महिला पुलिस बल भी मौजूद रही।

पुराना इतिहास है आस्ताने का

यह आस्ताना गंगा जमुनी तहजीब का मरकज़ भी माना जाता है। यहाँ आने वाले अकीदत मन्दो में हिन्दू और मुस्लिम सभी समुदाय के लोग है। बताया जाता है कि यह मुकाम लगभाग 800 साल पुराना है। इस आस्ताने पर सभी धर्मो के लोगो को अमूमन आम दिनों में भी देखा जा सकता है।

राम खेलावन यादव नाम के एक बुज़ुर्ग जिनकी उम्र लगभग 75 बरस की होगी ने हमसे बात करते हुवे बताया कि मैं यहाँ हर बृहस्पतिवार को पिछले लगभग 50 बरस से आ रहा हूँ। यहाँ न कोई हिन्दू है और न मुसलमान, बल्कि सभी बाबा के भक्त है। चन्दन शहीद बाबा के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि वरुण और गंगा संगम के तट पर आस्ताना है। ज़मीन के तल से एकदम बराबर है। सिर्फ 4 फिट उचाई पर है।

राम खेलावन यादव ने दावा किया कि वर्ष 1978 में एक बहुत बड़ी बाढ़ आई थी जिसमे नई सड़क तक पर नाव चल रही थी, मगर आस्ताने की चौखट बाढ़ का पानी नही पार कर पाया था और पानी अन्दर नही गया था। यह चमत्कार आज भी यहाँ कायम है। हम आसपास के लोग ही नही दूर दराज़ के लोग भी यहाँ अपनी श्रद्धा से आते है। मुराद मांगते है और उनकी पूरी भी होती है।

एक अन्य जायरीन अनुपम कुमार ने हमसे बात करते हुवे बताया कि विगत 8 वर्षो से यहाँ मैं प्रति सप्ताह आता हु। यहाँ जैसी शांति मुझको कही और नही मिलती है। यह मेरी आस्था भी हो सकती है। मगर मैं अपनी संतुष्टि के लिए यहाँ आता हु। बाबा के आशीर्वाद से मुझे हर काम में सफलता भी मिलती है।

बहरहाल, यह एक आस्था का विषय है। मगर इस आस्ताने पर सभी धर्मो के लोगो को एक साथ आना आज भी बरक़रार है। यह गंगा जमनी तहजीब के मरकज़ की तरह ही देखा जाता है। सभी अकीदत मंद जायरीन यहाँ आकर फैज़ मिलने की बात करते है। उर्स तीन दिवसीय था और उर्स का आज आखिरी दिन था।

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