शाहीन बनारसी
डेस्क: तथ्यों के साथ अपनी बात रखने वाली मीडिया अब बातो को अफवाहों के बनिस्बत भी उठती है। इसका एक बड़ा उदहारण तमिलनाडु में कथित रूप से बिहारी प्रवासी मजदूरों पर हमलो की अफवाह थी। कई खुद को नम्बर एक साबित करने में जुटे लोगो ने तो इसको फ्रंट पेज न्यूज़ तक बना दिया था। मगर जब बात खुली तो ‘पेशाब का सीधा प्रसारण’ करने वाली मीडिया ने चुप्पी साध लिया। ऐसा ही दो दिनों से मीडिया के सुर्खियों में आया मुद्दा था उत्तर प्रदेश के शिक्षा को लेकर जिसमे दावा किया जा रहा था कि इस वर्ष से एनसीईआरटी के सेलेबस से मुग़ल साम्राज्य के इतिहास को हटा दिया जायेगा।
गुलाबी देवी ने अपने बयान में कहा कि “मुगलों का इतिहास समाप्त नहीं किया जा रहा है। जो लोग इस प्रकार की धारणा फैला रहे हैं, उनको मेरा सुझाव है कि पहले तथ्यों की वास्तविक जानकारी ले लें। 2023 में यूपी की सरकार किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने नहीं जा रही है। NCERT के सिलेबस के आधार पर ही हमारे बच्चे पढ़ेंगे।” इस बयान के बाद मीडिया द्वारा फैलाई जा रही इस अफवाह पर कितना लगाम लगा और आपका पसंदीदा अख़बार या भोपू आप तक यह बात जिसने पहुचाया था कि मुगलों इतिहास सेलेबस से हटाया जा रहा है वह आपको इस खबर को कैसे दिया या नही दिया आप खुद देखे।
मगर हकीकत ये है कि हमारे भी सूत्र विभागों में है। हमने अपने सूत्रों को टटोला तो पता चला कि हर साल NCERT अपना सिलेबस लागू करती है। हर साल, NCERT के कुछ चैप्टर्स को हटाया या फिर जोड़ा जाता है। मुगलों का इतिहास अभी भी सिलेबस में है और आगे भी रहेगा। इसे बिल्कुल भी नहीं हटाया गया है। अब बात ये नही समझ आती कि आखिर मीडिया रिपोर्ट्स किस आधार पर इस खबर को चला रही थी कि ‘NCERT ने कक्षा 12वीं के इतिहास के सिलेबस को संशोधित किया है और मुगल साम्राज्य के चैप्टर्स को हटा दिया है, अब इसी के आधार पर इसके बाद NCERT को मानने वाले सीबीएसई, यूपी समेत अन्य राज्य बोर्ड समेत सभी बोर्ड के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा।’ आखिर कब से मीडिया भी अफवाहों के बाज़ार में खुद को खड़ा रखेगी?
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