तारिक़ आज़मी
वाराणसी: सरकार ने वाराणसी शहर को स्मार्ट सिटी घोषित कर दिया। शायद नगर निगम के दिल-ओ-दिमाग में वाराणसी शहर का मतलब केवल दशाश्वमेघ घाट और अस्सी घाट ही है। मगर हकीकत ये है कि वाराणसी का यह दोनों महज़ एक क्षेत्र है। असल वाराणसी काफी बड़ा है मगर नगर निगम है शायद समझने को तैयार ही नही है।
बहरहाल, नगर आयुक्त और जलकल के महाप्रबंधक दोनों ही अक्सर दावे उत्तम साफ़ सफाई और नागरिक सुविधाओं को लेकर किया करते है। मगर ज़मींन पर देखे तो इन दावो की धज्जियां हवाओं में उडती रहती है। असल में कोरा एक झूठ ही साबित होता है नगर निगम वाराणसी का ये दावा। हकीकत आपको लगभग हर एक गलियों में और हर एक इलाके में दिखाई दे जायेगी। अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाको में तो स्थिति और भी बद से बत्तर है। मगर बोले कौन।।।।? साहब लोगो के नाराजगी शिकार होना पड़ सकता है।
स्थानीय हमारे संवादसूत्र चाँद बाबु जिनको लोग प्यार और नफरत दोनों से ही बाबु रिचार्ज कहते है ने हमको बताया कि पिछले दस दिनों से सीवर अपना बेशकीमती आंसू इस प्रकार बहा रहा है कि आने जाने वालो को गन्दा कर दे रहा है। चौके उबड़ खाबड़ होने के कारण इस गंदे पानी का छींटा लोगो के कपड़ो पर पड़ जाता है। उनके कपडे गंदे हो जाते है। नमाजियों को बहुत मुश्किल होती है। मगर कहे तो कहे किस्से और सुनने वाला कौन है?
बताया कि स्थानीय जेई को फोन पर बात करने मंगल ग्रह के शासक से फोन पर बात करने के बराबर होता है। फोन ही नही उठता है और अक्सर फोन भी बंद रहता है। जलकल के जीएम साहब को फोन करो तो दिखवा लेता हु जैसे शब्दों से काम चलाते है। कई बार व्हाट्सएप मैसेज पर उनको स्मरण दिलवाने पर उन्होंने नम्बर ही ब्लाक कर दिया है कि ‘ले बेटा अब भेज मैसेज’।
स्थानीय निवासी और व्यापारी नेता मो0 साजिद ‘गुड्डू’ ने कहा कि सीवर 10 दिन से ज्यादा हुवे बह रहा है। कई बार लोगो ने स्थानीय पार्षद प्रतिनिधि विक्की को फोन करके इसकी शिकायत भी किया मगर उनके पास समय इस गली के लिए नही है, इधर की समस्याओं पर उनका ध्यान नही जाता है। ये हाल है तो फिर कहे किससे। पार्षद से कहना ही बेकार होता जा रहा है। चौको को देखे तो सब के सब हिल चुके है। मगर कौन मरम्मत करवाए इसकी जानकारी आते के साथ ही आपको बता दिया जायेगा।
अब नगर आयुक्त साहब, इसके बाद भी आपको लगता है कि आपके विभाग का दावा उत्तम सफाई व्यवस्था का दुरुस्त है तो माफ कीजियेगा, हकीकी ज़िन्दगी में ये दावा एक कोरा सिर्फ मन को बहलाने के लिए है। वैसे भी मियाँ ग़ालिब ने कहा था कि ‘दिल को बहलाने का ग़ालिब ख्याल अच्छा है।’ तो दिल बहल सकता है। खुद की पीठ खुद अथवा अपने जयकारा कहने वालो से थपथाप्वाई जा सकती है। हाँ ये अगर अलग बात है कि जलकल के जीएम साहब को ये कडवी सच्चाई बुरी लगी तो हम यही कह सकते है कि “सॉरी साहब, हमको सच लिखने की बिमारी हो गई है। जो कल सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर और बढ़ गई कि ‘मीडिया को सच दिखाना चाहिए,; तो हमने भी दिखा दिया”।
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