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ईद: एक तरफ महंगाई की मार, तो दूजे बेकारी से बेहाल, ईद की मार्किट है सन्नाटा, कारोबारी बदहाल

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: आज शनिवार है। मुक़द्दस रमजान का 16वा रोज़ा मुकम्मल हो चूका है। अगर ईद का चाँद 29 का हुआ तो महज़ 13 रोज़े और अगर 30 का चाँद हुआ तो 14 रोज़े। इसके ठीक दुसरे दिन मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार ईद रहेगी। ईद के रोज़ मुस्लिम समुदाय का हर एक शख्स नए कपडे पहनता है। नए जूते, चप्पल हर चीज़ नया। इसके लिए पुरे रमजान भर मुस्लिम समुदाय की खरीदारी का दौर चलता रहता है।

इस वजह से देर रात तक मुस्लिम इलाकों में दुकाने खुलती है। रोज़दार और मुस्लिम समुदाय के लोग पुरे महीने खरीदारी करते है। पुरे महीने जोर-ओ-शोर से खरीदारी का दौर चलता है। दुकाने गुलज़ार रहती है। कपड़ो से लेकर चप्पल तक और चूड़ी से लेकर आर्टिफीसियल ज्वेलरी तक। हर दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ इकहाई देती है। दर्जियो के दुकानों पर कपडे सिलवाने वालो की भीड़ रहती है।

मगर इस बार पूर्वांचल की सबसे बड़ी मार्किट में सन्नाटा दिखाई दे रहा है। ग्राहक काफी कम है। दिन भर सन्नाटे के बाद शाम को थोडा मार्किट गुलज़ार होना शुरू होती है। मगर वह पहले जैसी स्थिति नही है। दुकानदारों के चेहरे पर उदासी दिखाई दे रही है। यह एक महीने की आय से उनका लगभग एक वर्ष का सब इंतज़ाम होता है। मगर ग्राहकों के न होने से मार्किट में सन्नाटा पसरा हुआ है। अमूमन रमजान के पहले सप्ताह के बाद से ही खरीदारी का दौर चल उठता है।

हमारे स्थानीय प्रतिनिधि चाँद बाबु जिनको लोग मुहब्बत से बाबु रिचार्ज कहते है ने हमसे बताया कि हर वर्ष की तुलना में खरीदारी न के बराबर दिखाई दे रही है। दिन भर मार्किट में सन्नाटा पसरा हुआ है। शाम को थोडा मार्किट गुलज़ार होती है। मगर ये इसको भीड़ नही कहा जा सकता हो अमूमन हर वर्ष होती रहती थी। इसका मुख्य कारण शायद कमज़ोर कारोबारी स्थिति है। हमारे प्रतिनिधि से बात करते हुवे दालमंडी के स्थानीय कारोबारी सय्यद इरशाद ने बताया कि सबसे ज्यादा असर महंगाई ने डाला है। रोज़मर्रा की ज़रुरतो के सामान ही महंगे हो गए है। बजट पर इसका असर ख़ासा पड़ रहा है।

इस सम्बन्ध में हमारे प्रतिनिधि ए0 जावेद से दालमंडी के कारोबारी नेता बाबु नकाब ने बड़े ही वाजिब तरीके से इसका कारण बताया। उन्होंने कहा कि वाराणसी में मुस्लिम समुदाय का मुख्य कारोबार पॉवर लूम का है। मगर कोरोना काल से पहले ही पॉवर लूम का कारोबार ठप पड़ा हुआ है। थोडा बहुत चल रहा है तो उससे दाल रोटी का जुगाड़ ही बड़ी मुश्किलों से हो पा रहा है। वही दूसरी तरफ पॉवर लूम के बुनकरों हेतु बिजली का सवाल आज भी बड़ा बना हुआ है। ऐसे में इंसान जब कारोबार से टूटता है तो ऐश-ओ-इशरत की बात बेईमानी जैसी लगती है।

एक अन्य दुकानदार कामरान अहमद ने हमारी प्रतिनिधि शाहीन बनारसी से बात करते बताया कि कारोबार इस वक्त महज़ 20 फीसद रह गया गया। जबकि अब तक काफी कारोबार होता है। वजह सिर्फ यही है कि परचेज पॉवर कम होता जा रहा है। अब अधिकतर लोग थोडा कम में ही काम चला रहे है। फिर भी अल्लाह का शुक्र है कि काम चल रहा है। बहरहाल, मार्किट में थोड़ी बहुत भीड़ अभी उम्मीद की किरण जगाये हुवे है। अब ज़्यादातर खरीदारी रेडीमेड कपड़ो की ही होने की उम्मीद बची हुई है। वही सिवई की बिक्री में अगले हफ्ते से इजाफा होने की उम्मीद है। दुकानदारों की माने तो ईद के मौके पर ऐसा मंदा पहली बार देखने को मिल रहा है।

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