शाहीन बनारसी
डेस्क: केंद्र सरकार शुक्रवार देर शाम एक अध्यादेश लेकर आई है। सरल शब्दों में कहें तो इस अध्यादेश के तहत अधिकारियों की ट्रांसफ़र और पोस्टिंग से जुड़ा आख़िरी फैसला लेने का हक़ उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के तहत दिल्ली में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित किया जाएगा।
इस अध्यादेश के आने के बाद ट्रान्सफर पोस्टिंग के सभी अधिकार एक बार फिर से दिल्ली के उपराज्यपाल को हो जाने पर अरविन्द केज्रिवाला ने प्रतिक्रिया देते हुवे कहा है कि ‘जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, उसके अगले ही दिन केंद्र सरकार ने सोच लिया था कि अध्यादेश लाकर इसे पलटना है। अब जैसे ही सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ, केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आ गई और बीते 11 मई को दिए उनके फ़ैसले को पलट दिया गया।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाए।
केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार का लाया अध्यादेश पूरी तरह से ग़ैरकानूनी, ग़ैर संवैधानिक और जनतंत्र के ख़िलाफ़ है। केजरीवाल ने कहा, ”हमने सुना है कि केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है, लेकिन अध्यादेश लाने के बाद इस याचिका का क्या औचित्य है। इस याचिका की सुनवाई तो तभी हो सकती है जब वो अपना अध्यादेश वापस ले लें।’ केजरीवाल के मुताबिक उन्होंने तय किया है कि अब वो केंद्र सरकार के अध्यादेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख़ करेंगे।
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