UP

ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने पेश किया अदालत में दलील, ‘हजारों साल से मस्जिद थी और मस्जिद है जहाँ नमाज़े अदा होती है, न औरंगज़ेब क्रूर था और न ही उनसे भगवान आदि विशेश्वर के किसी मंदिर को तोडा’

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी की एक अदालत में ज्ञानवापी को लेकर चल रहे विवाद के दरमियान अदालत में मस्जिद कमेटी ने दलील पेश करते हुवे कहा है कि ‘न तो मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर था और न ही उसने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर के किसी मंदिर को तोड़ा था।‘ इस वक्तव्य के साथ कई किताबो का हवाला दिया गया और दस्तावेजों का भी हवाला दिया।

वाराणसी कोर्ट में हिंदू उपासकों की याचिका के विरोध में दाखिल अर्जी पर सुनवाई हुई थी। जिसमे मस्जिद कमेटी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण कराने के मुद्दे पर अपनी आपत्ति दर्ज की है। आपत्ति में अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने हिंदू श्रद्धालुओं की दलील का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भगवान आदि विश्वेश्वर के पुराने मंदिर पर एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने हमला किया था और उसे नष्ट कर दिया था। राजा टोंडलमल ने उसी स्थान पर 1580 ई में मंदिर को दोबारा बनवाया था।

इस मुद्दे पर मस्जिद कमेटी ने दलील दी कि, ‘न तो मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर था और न ही उसने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर के किसी मंदिर को तोड़ा था।‘ वाराणसी में दो काशी विश्वनाथ मंदिरों (पुराने और नए) की कोई अवधारणा नहीं थी। मस्जिद समिति ने मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहने पर भी आपत्ति जताई है। कमेटी ने कहा है कि उक्त कथन हिंदू मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करने के उद्देश्य से किया गया था। ‘मौके पर जो ढांचा या इमारत मौजूद है, मस्जिद आलमगिरी/ज्ञानवापी मस्जिद, वहां हजारों साल से है, कल भी मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है। वाराणसी और पड़ोसी जिलों के मुसलमान, बिना किसी प्रतिबंध के और अधिकार के रूप में नमाज पंजगाना, नमाज जुमा और नमाज इदैन अदा करते रहे हैं।‘

गौरतलब है कि मस्जिद कमेटी ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कोई शिव लिंग नहीं मिला है और जिस वस्तु को शिव लिंग बताया जा रहा है, वह वास्तव में एक फव्वारा है। आवेदन में मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण कराने के लिए हिंदू उपासकों की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की प्रार्थना की गई है। इसमें कहा गया है कि एएसआई को परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि तस्वीरों को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि विवादित स्थल एक मस्जिद है।

मस्जिद कमेटी ने अपनी दलील में कहा हैं कि कानून के तहत यह अनुमति नहीं है कि साक्ष्य को एक आयोग द्वारा या वैज्ञानिक जांच के माध्यम से एकत्र किया जाए। महत्वपूर्ण बात यह है कि आवेदन में कहा गया है कि विवादित संपत्ति के संबंध में एक मुकदमा सिविल जज (सीडी) एफटीसी, वाराणसी की अदालत में लंबित है, जिसमें अप्रैल 2021 में एएसआई सर्वे का आदेश पारित किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जिसके खिलाफ एक रिट याचिका दायर की गई, जो विचाराधीन है और जिस पर उपरोक्त दोनों रिटों को पक्षों द्वारा बहस पूरी होने के बाद आदेशों के लिए आरक्षित कर दिया गया है और इसलिए, आवेदन में प्रार्थना की गई है कि ऐसी स्थिति में, एक ही संपत्ति का फिर से उन्हीं बिंदुओं पर एएसआई से सर्वेक्षण कराने का सवाल ही नहीं उठता।

pnn24.in

Recent Posts

लाल सागर के ऊपर अमेरिकी लड़ाकू विमान अपनी ही ‘फ्रेंडली फायर’ में हुआ दुर्घटनाग्रस्त, अमेरिका ने किया हुती के ठिकानों पर हमला

फारुख हुसैन डेस्क: अमेरिका का एक लड़ाकू विमान लाल सागर के ऊपर दुर्घटना का शिकार…

19 hours ago

असम पुलिस ने बाल विवाह के आरोप में बीती रात किया 416 लोगो को गिरफ्तार

आफताब फारुकी डेस्क: असम पुलिस ने बाल विवाह के ख़िलाफ़ एक बार फिर बड़े पैमाने…

20 hours ago

अरे गजब: छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘महतारी वन्दन योजना’ के तहत सनी लियोन को मिल रहा हर महीने एक हज़ार रुपया

तारिक खान डेस्क: छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी 'महतारी वंदन योजना' के अंतर्गत सनी…

21 hours ago

फलस्तीन के अधिकारियों का दावा ‘गज़ा में युद्धविराम और बंधको की रिहाई के लिए वार्ता आखरी दौर में’

आदिल अहमद डेस्क: फ़लस्तीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि…

21 hours ago

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रमुख बनाये जाने की खबरों का किया खंडन

आदिल अहमद डेस्क: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रमुख बनाए जाने की ख़बरों का भारत के…

2 days ago