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हाल-ए-दालमंडी: नगर आयुक्त साहब बहते सीवर में बजबजाती गन्दगी के बीच ज़िन्दगी गुज़र करने को मजबूर है स्थानीय नागरिक और व्यापारी, जन प्रतिनिधि नही सुनते आप ही सुन ले

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी नगर निगम उत्तम सफाई व्यवस्था का दावा करते नही थकता है। मगर धरातल पर यह कितना संजीदगी से किया गया दावा है ये देखना हो तो आप पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी दालमंडी घूम आये। बजबजाते सीवर और सिसकती इंसानियत के बीच आपको सीवर के पानी में बहता कारोबार और सुकून दिखाई देगा। विगत एक पखवारे से अधिक वक्त हो चूका है। ये इलाका बजबजाते सीवर के बीच तड़प रहा है और कोई पुरसाहाल नही है।

गन्दगी का आलम ये है कि शायद ही कोई नुक्कड़ मुसाफिरखाने के पास से लेकर रफीक लस्सी वाले और कच्ची सराय से लेकर भीखाशाह मैदान तक होगा जहाँ सीवर बजबजा न रहा हो। लगभग 20 दिनों से बजबजाती गन्दगी और स्थानीय नगर निगम के जिम्मेदारो की उदासीनता के कारण मायूस स्थानीय निवासी आपस में चंदा करके गन्दगी साफ़ करने के लिए प्राइवेट सफाई कर्मियों का सहारा लेने के लिए मजबूर है।

यह तस्वीर रंगीले शाह मस्जिद के सामने की है। इसी बजबजाते सीवर के पानी में पड़े ईंट के ऊपर कूदते हुवे नमाजियों को मस्जिद के अन्दर पिछले 15 दिनों से जाना पड़ता है। मगर स्थानीय जलकल विभाग के सुपरवाइज़र कमलेश बाबु जो सुपर से भी दुई तल्ला ऊपर के सुपरवाईजर है। साहब आश्वासन ज़बरदस्त देते है और आश्वासन के सहारे लोग टिके है साथ ही उम्मीद बांधे है। वही जलकल के जेई मनीष बाबु की हाल ये है कि वह फोन उठायेगे कब इसके लिए शायद किसी उच्च पदस्थ से प्री अपोइन्टमेंट लेना पड़ता है।

यह तस्वीरे बंशीधर कटरे के पास मुख्य मार्ग की है। इस मार्ग पर जमा ये सीवर का पानी और उसके ऊपर रखे ये लकड़ी के तख्तो को आप देखे। तख्ते किसी अतिक्रमण के लिए नहीं रखे हुवे है बल्कि ग्राहकों को दूकान के अन्दर आने में गन्दगी से बचाने के लिए रखा हुआ है। सीवर के पानी से अब ये लकड़ी के तख्ते भी अस्त हो चुके है। दुकानदारी चौपट हो चुकी है और सडको पर सीवर का पानी बह रहा है।

यह तस्वीर बर्फ वाले कटरे की है। मुसाफिर खाने से दो कदम की दुरी पर बजबजाता सीवर इस कटरे की जिंदगियो को तहस नहस करने को तैयार है। गन्दगी के अम्बार के बीच लोग रहने और कारोबार करने को मजबूर है। 20 दिनों से कमलेश बाबु और जेई साहब को बार बार शिकायत करके उकता चुके है। उत्तर में सिर्फ अगर कुछ मिलता है तो वह है महज़ ‘आश्वासन’। इसी आश्वासन के सहारे कल कुछ बेहतर होगा सोच कर ज़िन्दगी का हर एक दिन गुज़र जा रहा है।

भीखाशाह गली में नरकीय स्थिति

दालमंडी को बेनिया से जोड़ने वाला मोहल्ला मैदान भीखा शाह में बजबजाती गन्दगी का ये आलम देखे। सीवर पिछले 20 दिनों से बजबजा रहा है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करने वाले एक ‘नेता जी’ खुद के घर के बाहर बजबजाते सीवर से होकर गुज़रते है। मगर सोशल मीडिया पर ‘आल इज़ वेल’ का नारा लगाने में सबसे आगे रहते है। मगर खुद के घर के बाहर बहते सीवर पर भी ‘आल इज वेल’ कह कर काम चला लेते है।

अमीरुल्लाह बाड़े का बजबजाता सीवर, नागरिको ने चंदा उतार कर करवाया दो बार साफ़ फिर भी नही मिली राहत

ऐसी ही हाल अमीरुल्लाह बाड़े की है। रफीक लस्सी वाले की प्रसिद्ध दुकान के ठीक बगल में स्थित इस मार्ग पर जमा सीवर का पानी लगभग 25 दिनों से ज़िन्दगी दुश्वार किये है। मगर हाल ऐसा है कि ज़िम्मेदार सुनते ही नही है। आखिर अमीरुल्लाह बाड़े के दुकानदारों और स्थानीय निवासियों ने आपस में चंदा करके सीवर को प्राइवेट कर्मियों के द्वारा साफ़ करवाया गया। मगर तीन दिनों बाद ही यह सीवर दुबारा बहने लगा। अब इलाके के लोग इसको मुस्तकिल बनवाने के लिए आपस में चंदा करने का विचार बना रहे है। इलाके के लोगो का कहना है कि हमारी जब सुनवाई ही नही हो रही है तो फिर हम किसके पास अपनी फ़रियाद लेकर जाए।

क्या हाल है जनप्रतिनिधित्व की

यह सीट भाजपा के खाते में गई है। भाजपा इस सीट पर पहली बार चुनाव जीती है। वायदे चुनाव में काफी हुवे है, मगर धरातल पर बहता हुआ सीवर उनकी हकीकत बयान कर रहा है। क्षेत्र के चंद युवक जो खुद को नवनियुक्त पार्षद का नजदीकी बताते है, उनके शब्द किसी का भी दिल तोड़ने के लिए काफी है। उनके अनुसार इलाके से महज़ 13 वोट मिला है तो कैसे दबाव बनाये। अब बात ये है कि ये शब्द पार्षद के नही है तो हम इसकी जवाबदेही उनसे नही मांग सकते है। मगर उनके करीबी होने का दावा करने वाले क्या इन शब्दों की पुष्टि कर सकते है?

क्या कहते है ज़िम्मेदार

इस सम्बन्ध में स्थानीय जेई (जलकल विभाग) मनीष कुमार से बात करने हेतु एक नही बल्कि आधा दर्जन बार कॉल करने पर भी उनको सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया गया नंबर कल शनिवार से लेकर आज रविवार तक नही उठा। वही दुसरे तरफ सुपरवाईज़र कमलेश का कहना है कि कल समस्याओ का निस्तारण हो जायेगा। मगर ये ‘कल’ कब आएगा हमारे पास इसकी सुचना उपलब्ध नही है। क्योकि ‘कल’ के बाद भी एक ‘कल’ आएगा। हमारा काम जन समस्याओं को रूबरू करवाना है। अब उसका समाधान करना विभाग का काम है। देखते है कि जलकल विभाग अपनी नींद से कब जागता है।

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