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पंडित जवाहर लाल नेहरु के पुण्यतिथि पर विशेष: पढ़ें चाचा नेहरु के ज़िन्दगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से

शाहीन बनारसी

आज हमारे देश के पहले प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की पुण्यतिथि है। नेहरु को बच्चे प्यार से चाचा नेहरु कहकर पुकारते थे। नेहरु को भी बच्चो से बहुत लगाव रहता था। वह बच्चो से बेहद प्यार करते थे क्योकि वह जानते थे कि जिस देश के बच्चे स्वस्थ, शिक्षित और चरित्रवान होंगे, जिस देश में उनका शोषण नहीं किया जाएगा, वही देश उन्नति कर सकता है। वह सभी बच्चों का विकास और उनको शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहते थे।

चाचा नेहरु का जन्म 14 नवम्बर 1889 इलाहाबाद में हुआ था। नेहरु आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य–एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र- के वास्तुकार माने जाते हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं।

महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे। आज ही के दिन यानी 27 मई 1964 की सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी। आज नेहरु की पुण्यतिथि है। नेहरू एक बेहतरीन लेखक भी थे और उन्होंने बहुत-सी किताबें लिखीं। उनकी प्रमुख किताबों में मेरी आत्मकथा, भारत की खोज, विश्व इतिहास की झलक और पिता के पुत्री के नाम पत्र आदि शामिल हैं। आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको उनके एक ऐसे किस्से से रूबरू करवाते है जिससे पता चलता है कि उनका मन कितना बाल सुलभ था। इंसान हो या पक्षी सभी को आजादी चाहिए।

दरअसल, जवाहर लाल नेहरू जब बच्चे थे। उनके घर में पिंजरे में एक तोता पलता था। उनके पिता मोती लाल नेहरू को वह तोता पसंद था। उन्होंने तोते की देखभाल का जिम्मा अपने माली को सौंप रखा था। एक बार नेहरू जी स्कूल से वापस आए तो तोता उन्हें देख कर जोर-जोर से बोलने लगा। नेहरू जी को लगा कि तोता पिंजरे से आजाद होना चाहता है। उन्होंने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। तोता आजाद होकर एक पेड़ पर जा बैठा। उसी समय वहां माली आ गया। उसने डांटा कि यह तुमने क्या किया। मालिक नाराज होंगे। बालक नेहरू ने कहा कि सारा देश आजाद होना चाहता है, तोता भी चाहता है। आजादी सभी को मिलनी चाहिए।

शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार और लेखिका है

बच्चों का दिल जीतने में माहिर एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ बुक नेहरू जी के सामने रखते हुए कहा- साइन कर दीजिए। नेहरू जी ने साइन कर दिया। बच्चे ने ऑटोग्राफ देखे और देख कर नेहरू जी से कहा कि आपने तारीख तो लिखी ही नहीं। बच्चे की इस बात पर नेहरू जी ने उर्दू अंकों में तारीख डाल दी। बच्चे ने इसे देख कहा कि यह तो उर्दू में है। नेहरू जी ने कहा, ‘‘भाई तुमने साइन अंग्रेजी शब्द कहा मैंने अंग्रेजी में साइन कर दिए, फिर तुमने तारीख उर्दू शब्द का प्रयोग किया मैंने तारीख उर्दू में लिख दी। यह नेहरू जी की बाल सुलभ सोच थी जिसकी वजह से बच्चे भी उनसे प्यार करते थे।

Banarasi

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