शाहीन बनारसी
डेस्क: आज शुक्रवार यानी 5 मई वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। चंद्रग्रहण को वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से अहम माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रग्रहण लगता है जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रग्रहण के दौरान राहु चंद्रमा को ग्रसित कर देते हैं। बताते चले कि आज यानी 5 मई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण रहेगा। इस चंद्रग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 18 मिनट की रहने वाली है। रात 8 बजकर 44 मिनट से चंद्रग्रहण शुरू होगा और रात के 1 बजकर 2 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा।
क्या होता है उपछाया चंद्रग्रहण?
जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चन्द्र मालिन्य कहते हैं इंग्लिश में इसे (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तो तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन, कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल जाता है और पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा का बिंब बस धुंधला पड़ता है और पूरी तरह से काला नहीं होता है। इसलिए इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहा जाता है।
वही इस चंद्रग्रहण में किसी तरह के नियमों का पालन करना आवश्यक नहीं है। इसमें सूतक काल भी मान्य नहीं है। इस चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को किसी तरह कि चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं और ना ही किसी तरह की अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। वैसे तो 5 मई को लगने वाले चंद्रग्रहण के किसी भी तरह के नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं है, फिर भी यदि आप कोई नियमों का पालन करना चाहते हैं तो रात 8:30 बजे से पहले पहले पूजा- पाठ व भोजन इत्यादि कर लें और चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ समय शांति से बैठ कर भगवान के पवित्र नामों का जप कर सकते हैं।।
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