ए0 जावेद
वाराणसी: नगर निकाय चुनावो के नतीजे आने शुरू हो गये है। 4 दशक का सपना भाजपा का रहा बेनिया वार्ड जीतने का और यह सपना आज नमक के क़र्ज़ के सहारे पूरा हो गया है। काउंटिंग रूम से मिल रही जानकारी के अनुसार आदिविशेश्वर वार्ड (बेनिया) से भाजपा प्रत्याशी इन्द्रेश कुमार अपने नजदीकी उम्मीदवार निर्दल प्रत्याशी अरशद खान विक्की से 683 मतो से विजय प्राप्त कर इस वार्ड में भगवा फहरा चुके है।
ये भाजपा के लिए किसी गोल्डन चांस से कम नही था। भाजपा को यह सीट जीतना प्रतिष्ठा से जुडा हुआ मुद्दा दिखाई दिया और शकील भाजपा का कार्यालय भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता झापा के घर खुल गया। वैसे तो अमूमन बगावत करने वालो से लेकर उनका समर्थन कर रहे लोगो को भाजपा ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। मगर शकील सिद्दीकी के लिए इसमें थोड़ी सहूलियत भाजपा ने प्रदान किया और सिर्फ शकील सिद्दीकी को भाजपा से निष्काषित किया। जबकि उनके पुरे चुनाव का सञ्चालन कर रहे किरण और खुद शकील सिद्दीकी के पुत्र जो भाजपा आईटी सेल का दींन दयाल मंडल प्रभारी है को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित न किया और न ही अपने चुनाव प्रचार में लगाया।
इस दरमियान पोलिंग के ठीक एक रात पहले भी शकील सिद्दीकी का मास्टर स्टोक प्लान काम आया और उन्होंने देर रात एक बड़े भाजपा नेता का नाम लेकर लोगो को बताया कि मुझको भाजपा का वोट मिल रहा है। मतदान हुआ और जमकर शकील सिद्दीकी की कार चली। कार की जितनी अधिक रफ़्तार रही उतना आसान राह भाजपा की हुई। मतगणना में यह बात साबित भी हुई और शकील सिद्दीकी को अल्पसंख्यक मत तो मिले मगर बहुसंख्यक मत जिस पार्टी में उन्होंने 43 साल गुज़ारे वह निल बटा सन्नाटा दिखाई दिया। शकील सिद्दीकी को कुल 1269 मतो के करीब मिले मत में 99 फीसद मत अल्पसंख्यक इलाके से मिला।
दूसरा बड़ा फायदा इस सीट पर भाजपा को सपा कार्यकर्ताओं ने पहुचाया। जब पोलिंग के एक रात पहले एक समुदाय विशेष का समर्थन सपा प्रत्याशी को मिलने की अफवाह को अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके के सपा कार्यकर्ताओं ने अपने इलाके में फैलाया। जबकि यह महज़ एक कोरी अफवाह थी और आज जब मतगणना हुई तो यह बात साबित भी हुई। 1847 मत पाने वाली सपा इस वार्ड में 85 फीसद अल्पसंख्यक मत पाई। इन सबके बीच सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस का हुआ जिसको बहुसंख्यक मत जो लगभग एक तरफ़ा भाजपा को गया में सेंध मारने में कामयाबी तो हासिल हुई, और लगभग 450-500 मत उसको उन इलाकों में मिले मगर अल्पसंख्यक मत उसके खाते में नही आये। कांग्रेस 5 साल पार्षद रहते हुवे करोडो का जनकल्याण का काम करवाने के दावो के बावजूद भी महज़ 844 मतो तक सिमट गई।
जो जीता वह सिकंदर के तर्ज पर भाजपा यह वार्ड पहली बार जीती है। जीत की बधाई वास्तव में भाजपा के उन कार्यकर्ताओं को बनती है जिन्होंने अपने विरोधी मतो के विभाजन का भरपूर फायदा उठाते हुवे अपने मतो को इकट्ठा कर लिया। भाजपा के इस वार्ड जीतने के सपने को साकार करने में उनके कार्यकर्ताओं की ज़बरदस्त मेहनत काम आई है।
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