केंद्र सरकार लाई नया अध्यादेश, अधिकारियो के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार दुबारा उपराज्यपाल को मिले, बोले केजरीवाल ‘अध्यादेश पूरी तरह से ग़ैरकानूनी, ग़ैर संवैधानिक और जनतंत्र के ख़िलाफ़’
शाहीन बनारसी
डेस्क: केंद्र सरकार शुक्रवार देर शाम एक अध्यादेश लेकर आई है। सरल शब्दों में कहें तो इस अध्यादेश के तहत अधिकारियों की ट्रांसफ़र और पोस्टिंग से जुड़ा आख़िरी फैसला लेने का हक़ उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के तहत दिल्ली में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित किया जाएगा।
दानिक्स यानी दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नागर हवेली सिविल सर्विसेस। दिल्ली में इस प्राधिकरण में प्राधिकरण में तीन सदस्य होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह प्रधान सचिव। मुख्यमंत्री को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। प्राधिकरण को सभी ‘ग्रुप ए और दानिक्स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति से जुड़े फैसले लेने का हक़ तो होगा लेकिन आख़िरी मुहर उपराज्यपाल की होगी। यानी अगर उपराज्यपाल को प्राधिकरण का लिया फैसला ठीक नहीं लगा तो वो उसे बदलाव के लिए वापस लौटा सकते हैं। फिर भी अगर मतभेद जारी रहता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल का ही होगा।
इस Ordinance द्वारा Constitution के Basic Structure पर हमला किया गया है
ऐसा क़ानून नहीं आ सकता जो जनतंत्र को ख़त्म करे
ये देश के Federal Structure पर सीधा-सीधा हमला है। pic.twitter.com/LuxZwtlqZW
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 20, 2023
इस अध्यादेश के आने के बाद ट्रान्सफर पोस्टिंग के सभी अधिकार एक बार फिर से दिल्ली के उपराज्यपाल को हो जाने पर अरविन्द केज्रिवाला ने प्रतिक्रिया देते हुवे कहा है कि ‘जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, उसके अगले ही दिन केंद्र सरकार ने सोच लिया था कि अध्यादेश लाकर इसे पलटना है। अब जैसे ही सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ, केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आ गई और बीते 11 मई को दिए उनके फ़ैसले को पलट दिया गया।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाए।
केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार का लाया अध्यादेश पूरी तरह से ग़ैरकानूनी, ग़ैर संवैधानिक और जनतंत्र के ख़िलाफ़ है। केजरीवाल ने कहा, ”हमने सुना है कि केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है, लेकिन अध्यादेश लाने के बाद इस याचिका का क्या औचित्य है। इस याचिका की सुनवाई तो तभी हो सकती है जब वो अपना अध्यादेश वापस ले लें।’ केजरीवाल के मुताबिक उन्होंने तय किया है कि अब वो केंद्र सरकार के अध्यादेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख़ करेंगे।