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मानवीय मूल्यों के पालन से ही मिलेगी शांति सद्भाव:- डॉ0 डैंज़िल फर्नांडीज

शाहीन बनारसी

नई दिल्ली। भारतीय सामाजिक संस्थान नई दिल्ली द्वारा संचालित शांति सद्भावना मंच से जुड़े शांति प्रशिक्षकों को दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर’ का समापन सामाजिक सद्भावना एवं शांति के लिए जन जन को जागरूक करने के संकल्प के साथ हो गया। शिविर का शुभारंभ प्रार्थना एवं फादर डॉ0 डेजिल फर्नांडीज, फादर थॉमस, पास्कल तिर्की, प्रो0 मोहम्मद आरिफ सहित राज्य कॉर्डिनेटर ने दीप प्रज्वलित कर किया।

फादर डॉ0 डैंज़िल ने विषय वस्तु पर प्रकाश डाला और उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों के पालन से हम समाज में शांति और सद्भावना स्थापित कर सकते हैं। देश में शांति स्थापना के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये हर पहलू को हमें जानना, सीखना और समझना होगा। भारत विविधता और सामाजिक सद्भाव का देश है, इसे सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है। इस लिहाज से यह ट्रेनिंग महत्वपूर्ण था।

फादर थॉमस ने कहा कि शांति सद्भावना पर नागरिक और विद्यार्थी मंच में कार्य योजना बनी है। जिसमें रिसर्च, अध्ययन, आंकड़े इकट्ठा करना, हेल्थ, शिक्षा, मानवीय मूल्य, पर्यावरण आदि पर काम करना है ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले। रुबिन मिंज ने रिपोर्ट राइटिंग, फोटोग्राफी और सोशल मीडिया की जानकारी साझा की। और कहा कि इसके बेहतर उपयोग से सामाजिक तनाव को कम करने में सुविधा मिलेगी।

जोसेफ जेम्स ने ‘डू नो हार्म’ पर विस्तृत चर्चा करते हुए सेवन स्टेप बताए। इसके जरिये कैसे नकारात्मकता को सकारत्मकता में बदल सकते है और टकराव की स्थिति में अपने विवेक से विवाद को कम कर सकते है। उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, उड़ीसा, मध्यप्रदेश से आये प्रतिभागियों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश के राज्य समन्वयक प्रो मोहम्मद आरिफ ने संविधान के मूल्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान प्रजा से नागरिक बनने की कहानी है तथा धर्मनिरपेक्षता और सद्भाव इसकी आत्मा है।

फादर जेवियर सोरंग, फादर स्टैनी तिर्की ने शांति, व्यवस्था एवं संविधान पर चर्चा की। संचालन करते हुए शांति सद्भावना मंच के परियोजना अधिकारी पास्कल तिर्की ने मंच की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए अग्रिम योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। डॉ0 अरुण उरांव ने पूरे कार्यशाला की निगरानी और नए टिप्स देते हुए गेम्स के माध्यम से मानसिक चेतना जागृत किया। इस सम्मेलन में सात राज्यों के समन्वयक समेत पचास से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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