ईदुल अमीन
डेस्क: वर्ष 1912 में डूबे जहाज़ ‘टाइटेनिक’ का मलवा दिखाने के लिए एडवेंचर टूर पर लेकर गई ‘पनडुब्बी टाइटेन’ के दुर्घटना ग्रस्त होने के खबर की पुष्टि कल होने के साथ ही एक बड़ा सवाल खडा हुआ था कि जो लोग इस दुर्घटना के शिकार हुवे है क्या उनके शवो को वापस लाया जा सकता है। इस सवाल पर आज कोस्ट गार्ड के तरफ से साफ़ साफ़ जवाब आ गया है कि ऐसा करना बेहद मुश्किल है।
मरीन ऑटोनोमी के प्रोफ़ेसर ब्लेयर थ्रॉनटन ने इस बात को साफ़ साफ़ समझाते हुवे कहा है कि हादसे की जगह पर जो दबाव है वो ऐसा है मानो पनडुब्बी पर किसी ने पूरा का पूरा आइफ़ेल टावर रख दिया हो। जानकारों की मानें तो पनडुब्बी का ढांचा ही वो चीज़ थी जो पनडुब्बी के भीतर मौजूद पांच लोगों को पानी के इस दवाब से बचा कर रखे हुए थी।
उन्होंने स्थिति को बताते हुवे कहा कि ‘कल्पना कीजिए कि इतने अधिक ताकत से आप पर पड़ने वाले दबाव से आपको बचाने वाली चीज़ ही अगर एक क्षण में नष्ट हो जाए तो क्या होगा। पानी बहुत अधिक ताकत के साथ आपसे टकराएगा जैसे किसी पर हज़ार टन का बोझ आ गिरा हो।’ फोरेन्सिक जेनेटिक्स के प्रोफ़ेसर डेनिस कोर्ट कहती हैं कि शवों को निकालने के लिए हादसे की जगह तक तुरंत पहुंच पाना बेहद मुश्किल है। वो कहती हैं कि जिस तरह बेहद अधिक दबाव के कारण संकुचन से वो छोटी पनडुब्बी फटी होगी, उसके बाद मृतकों के शवों को वहां से लाने की कोई उम्मीद नहीं बची है।
बताते चले कि ओशनगेट की पनडुब्बी टाइटन पांच लोगों को लेकर 1912 में अटलांटिक सागर में डूबे जहाज़ टाइटैनिक को देखने के लिए निकली थी।लेकिन रविवार को समुद्र में डाइव लगाने के एक घंटे 45 मिनट बाद ही इसका संपर्क अपने मदर शिप पोलर प्रिंस के साथ टूट गया था। बीती रात अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने कहा था कि ये पनडुब्बी हादसे का शिकार हो गई है। रियर एडमिरल जॉन मॉगर ने बताया कि पनडुब्बी के पांच हिस्से टाइटैनिक जहाज़ के मलबे के अगले हिस्से के 1600 फ़ीट नीचे मिले हैं।
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