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लोहता के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर की शातिराना चाल की कहानी, गरीब बच्चो के हक़ में उठाई आवाज़ तो भ्रष्टाचार के समर्थन में अधूरी और ‘एडिटेड काल रिकॉर्डिंग’ अपने सपाई चमचो के साथ मिलकर वायरल कर, कर रहा बदनामी

तारिक आज़मी

वाराणसी: मीडिया को गाली देना बड़ा आसान होता है। मगर इमानदारी से पत्रकारिता करने के कई नतीजे भुगतने पड़ते है इसका जीता जागता नमूना लोहता थाना क्षेत्र स्थित अलावल में पड़ने वाले सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे में हो रही कथित अवैध वसूली और अव्यवस्था के खिलाफ खबर उठाने पर मदरसे के भ्रष्टाचारी मैनेजर की शह पर लोहता के दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर शमीम नोमानी द्वारा पत्रकार को मानसिक रूप से उत्पीडित किया जा रहा है। जिसमे उसका साथ दे रहे है सपा के हुल्लड़बाज़ कार्यकर्ता और नेता।

स्थानीय सम्मानित नागरिक जो इस बात का दावा कर रहे है कि मदरसे में मीटिंग हिस्ट्रीशीटर शमीम नोमानी ने आहूत किया था

मामला कुछ इस तरीके से है कि मदरसा फैजुलउलूम में पानी की टंकी से ही बच्चो को पानी पीने दिया जाता है। पानी की टंकी से पानी बदबूदार आता है और साथ ही भ्रष्टाचार से जुड़े कई अन्य आरोप भी छात्रो ने लगाते हुवे शनिवार को हंगामा कर दिया। खुद को फंसता देख भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे मैनेजर गोपाल ने तत्काल अपने शरणदाता सपा की नवनियुक्त पार्षद पति हिस्ट्रीशीटर शमीम नोमानी को फोन करके शायद बुला लिया होगा। अब मैनेजर ने फोन करके बुलाया या अपने आका को मुश्किल में देख खुद शमीम नोमानी का आगमन मदरसे में हुआ इसका कोई साक्ष्य नही है। मगर मौके पर शमीम नोमानी के आकर हंगामा कर रहे बच्चो को दो दिन बाद आवामी मीटिंग के लिए कहा और उसमे समस्याओं का समाधान की बात कही।

हमारे द्वारा छात्रो के आरोपों को आधार बना कर समाचार प्रकाशन किया गया। ऐसा नही कि समाचार प्रकाशन केवल हमारे द्वारा हुआ कई अन्य प्रातःकालीन और संध्याकालीन अखबारों ने भी समाचार का प्रकाशन किया। मामला समाचारों में आने के बाद मदरसा प्रबंध समिति के संरक्षक नवनियुक्त सपा पार्षद पति हिस्ट्रीशीटर शमीम नोमानी के द्वारा समाचारों पर आपत्ति किया जाने लगा और समाचार को झूठा करार दिया जाने लगा। मगर सपा नेता और हिस्ट्रीशीटर शमीम नोमानी को नही मालूम था कि मामले में हमारे पास पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध है। यह से शमीम नोमानी और उसके सपाई कार्यकर्ता तथा गुर्गो द्वारा पत्रकार का उत्पीडन शुरू हो जाता है। वही इलाके में पोस्टर भी चिपकाया गया कि 6 जून को मीटिंग है। मीटिंग के पोस्टर पर ख़ुफ़िया तंत्र भी एक्टिव हो गया कि आयोजक कौन है?

वही हमारे पास स्थानीय नागरिको और छात्रो का बयान है कि मीटिंग शमीम नोमानी ने आहूत किया था। 6 जून को मीटिंग के दिन बच्चे मदरसे जाते है तो मदरसे का ताला बंद रहता है तथा शमीम नोमानी गेट पर रहते है। छात्रो का और स्थानीय नागरिको का वक्तव्य है कि शमीम नोमानी ने बच्चो से मारपीट करना शुरू किया। इसके बाद हंगामा होने लगता है और मौके पर सुचना पाकर पुलिस पहुची। जिसके बाद हंगामा शांत हुआ। शातिर शमीम नोमानी ने अपने राजनितिक टशन में दो इलाके के नाम और साथ ही हमारे प्रतिनिधि के नाम से नामज़द तहरीर मैनेजर गोपाल से पुलिस को दिलवाया जिसमे कई छात्रो को अज्ञात के तौर पर लिखवाया।

इसके बाद मानसिक शोषण करने का दौर शुरू होता है। शातिर अपनी शातिराना चाल चलता है और दो काल रिकॉर्डिंग को एडिट महज़ थोड़ी थोड़ी देर का करके सोशल मीडिया पर सपाई हुडदंगियो और अपने गुर्गो के द्वारा वायरल करवाना शुरू कर दिया। चंद लफ्जों की कॉल रिकॉर्डिंग से लोगो को कहता फिर रहा है कि अवैध वसूली का प्रयास हुआ। जबकि हकीकत ये है कि शातिर ऑडियो रिकॉर्डिंग एडिट तो कर बैठा मगर समझदार समझ रहे है कि ऑडियो तीन जगह से चंद सेकेण्ड की है मगर कई जगह एडिटेड है।

क्या है हकीकत

शातिर शमीम नोमानी जब चुनाव लड़ रहा था तो मुझे अपने विज्ञापन हेतु फोन किया था। मैं व्यक्तिगत विज्ञापन से परहेज़ करता हूँ तो साफ़ मना कर दिया। जिसके बाद उसने कहा कि ‘आप बड़े बुज़ुर्ग है दुआये दे’ जिस पर मैंने जवाब में कहा कि ‘यार बुजुर्गो के आस्ताने पर चादरपोशी करके फुल चढ़ा कर नज़र करवा कर चरागी देकर तब दुआये लिया जाता है। आओ चादरपोशी करो चरागी चढाओ।’ ये शब्द एडिट हुआ और काम का बन गया। चरागी दरगाहो पर चढ़ाई जाती है और दरगाह उनकी बनती है जो बुज़ुर्ग पर्दा कर जाते है यानी इस दुनिया से रुखसत हो जाते है।

दूसरी ऑडियो में उसके द्वारा अपनी जीत पर बधाई देने की बात है तो जवाब में मैंने कहा था कि ‘आवाम ने अपनी खिदमत के लिए चुना है, गरीबो का काम करवाओगे तो समर्थन अपने भरसक करूँगा और अमीरों का काम करवाओगे तो विरोध करूँगा जिसके ऊपर वह कहता है विपक्ष भी ज़रूरी है तो मेरा जवाब रहता है कि विपक्ष इस बार मजबूत है।’ ये ऑडियो एडिट किया और कुछ का कुछ बना डाला।

अब हकीकत ये है कि अगर गरीबो का साथ देंगे तो इतना तो सहना पड़ेगा ही। दरअसल हिस्ट्रीशीटर से माननीय बनने का प्रयास कर रहे साहब को पता ही नही अगर उनके तरह पैसा मेरे लिए भगवान होता तो मैं भी मदरसे के तरफ रहता। मेरे पास भी महज़ तीन साल में करोडो के संपत्ति होती। जैसे गोपाल मैनेजर के पास है। 15 साल पहले तक दो पॉवरलूम चलाने वाले गोपाल मैनेजर ने वह तरक्की किया कि करोडो के संपत्ति के मालिक हो गये। मेरा साथ गरीबो के साथ है जिनसे पैसे नही करोडो की दुआये मिलती है। गरीब छात्रो को उनका हक मैं दिलवा कर रहूँगा आप अपने धनवान के साथ रहो। बदनाम वो होता है जिसका नाम हो। एडिटेड ऑडियो क्लिप वायरल करने पर आईपीसी 499, 500 और 501 तथा आईटी एक्ट की 66ई के तहत अपराध है। इतना तो पढ़े होंगे ही आप, मगर मेरा काम आपसे मुक़दमेबाज़ी करना नही है। मेरे कलम में ही इतनी जान अल्लाह ने बक्शी है कि वही जवाब देने के लिए काफी है अल्लाह भी देख रहा है कि मैं हक के साथ हु और बातिल के साथ कौन है।

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