तारिक़ आज़मी
नफरते अपने पाँव सोशल मीडिया पर फैलाते फैलाते अब आवाम के बीच दिखाई देने लगी है। मुहब्बत के रहनुमा नफरती कांटो के सामने खामोश है। खामोश हो जाती है सियासत तब, जब मुहब्बत की सरहदों को लांघ कर नफरते अपना पाँव पसारती है। मज़हबो को सामने रख कर धर्म के नियमो का मजाक बनाया जा सकता है क्योकि नफरती सौदागरों को ये सब पसंद आता है।
मगर ताज़ा मामला तो उत्तराखंड का ऐसा ही दिखाई दे रहा है कि खुली हवा और देश की सम्पदा भी शायद मज़हब के मुताल्लिक लोग मुक़र्रर करना चाहते है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि यह धर्म की नगरी हरिद्वार का वीडियो है जो हरिद्वार के अग्रसेन घाट का है। वीडियो में एक मुस्लिम परिवार को घाट से कुछ युवको के द्वारा भगाया जा रहा है। बेशक वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे सही है तो कम से कम ये धर्म का काम तो धर्मनगरी में नही हुआ है। धर्म नफरत सिखाता है ऐसा मैंने पहली बार देखा।
इस सम्बद्ध में ईटीवी भारत ने इस सम्बन्ध में अपनी खबर में बताया है कि वायरल हो रहे इस वीडियो में एक हिंदू युवक, एक मुस्लिम परिवार को हरिद्वार के गंगा घाट से जाने के लिए कह रहा है। वीडियो में ये लोग इस परिवार के साथ बदसलूकी करते भी दिख रहे हैं। वीडियो हरिद्वार के अग्रसेन घाट का है। जहा एक हिंदू युवक, मुस्लिम परिवार को घाट से जाने के लिए कह रहा है। वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि वह युवक उस परिवार से कह रहा है कि ‘यहाँ पर उनका कोई अधिकार नही है। गंगा घाटों पर आने का अधिकार सिर्फ हिंदू परिवारों को है, ना कि गैर हिंदू परिवारों को।’
ईटीवी भारत कोई दिए गए बयान में वायरल वीडियो के सम्बन्ध में हरिद्वार के एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने कहा है कि ‘इस वीडियो को दिखाया जा रहा है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।’ बेशक हमको प्रशासन की निष्पक्षता पर पूरा यकीन होना ही चाहिए और हमको है भी। मगर उन नफरती सौदागरों का क्या जो इस वीडियो के समर्थन में नफरते सोशल मीडिया पर बो रहे है। अपने हर एक लफ्ज़ से ज़हर उगलने वाला एक पत्रकार जो अक्सर आलोचनाओं के घेरे में रहता है के द्वारा इस प्रकार के कृत्य को समर्थन दिया जा रहा है तो अचम्भे की बात नही है। ऐसे लोगो का कारोबार ही ऐसे नफरती बयानबाजी से चलता है। आपका पसंदीदा अख़बार और भोपू मीडिया इसके ऊपर खामोश है। खुली हवा और पानी भी अब मजहब के मुताबिक होंगे। इसको कहते है ‘सूरज में लगे धब्बा, कुदरत के करिश्मे है।’
ऐसे करिश्मे धामी साहब आपके राज्य में हो रहे है। धामी साहब पुरोला की घटना कितना आलोचनाओं का शिकार हुई है आपसे छिपा तो नही होगा। बेशक आपकी सरकार ने पहल किया होता तो नफरत के सौदागरों को इतनी फसले बोने का मौका नही मिलता। आपका एक सख्त बयान सिर्फ ऐसे नफरत के सौदागरों की हिम्मत तोड़ने के लिए बहुत काफी था। एक महापंचायत जिसको रोका गया तो दुसरे वर्ग द्वारा भी महापंचायत की घोषणा कर दिया गया। भले महापंचायत दोनों ही नही हुई और प्रशासन रोकने में कामयाब रहा। मगर मशक्कत तो हुई। नफरतो ने किसी का भला नही किया है इसको समझने वाला समाज खामोश है और चुपचाप नफरतो के सौदागरों की सौदागिरी देख रहा है। बेशक देश की सम्पदा किसी धर्म अथवा मज़हब की नही हो सकती है।
माही अंसारी वाराणसी: पर्यावरण संरक्षण के लिए योगी सरकार विभिन्न उपायों पर जोर दे रही…
ए0 जावेद वाराणसी: छठ पूजा का महापर्व इस वर्ष 5 नवंबर से शुरू हो रहा…
शफी उस्मानी वाराणसी: वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर कर्मियों की एक बड़ी लापरवाही…
माही अंसारी डेस्क: कनाडा के टोरंटो के ब्रैम्पटन इलाक़े में स्थित एक हिंदू मंदिर के…
आफताब फारुकी डेस्क: सोमवार सुबह उत्तराखंड के अल्मोड़ा के मार्चुला में यात्रियों से भरी बस…
तारिक खान डेस्क: मध्य प्रदेश सरकार ने जंगली जानवरों के हमले में मारे जाने वाले…