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नगर निगम के जलकल विभाग द्वारा जल भराव मुक्त वाराणसी के दावो की देखे साहब असली कहानी, एक घंटा हुई बारिश लग गया जहाँ देखो उहा ठेहुना तक पानी

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: एक तरफ प्रदेश और केंद्र सरकार विकास की बात करती है। दूसरी तरफ नगर निगम का जलकल विभाग उन दावो को ज़बरदस्त पलीता लगाता रहता है। इन दावो के साथ सबसे बड़ा दावा जलकल विभाग का जलभराव मुक्त वाराणसी का दावा था। जो आज हुई एक घंटे की बारिश में मुह के बल गिरा दिखाई दिया। महज़ एक घंटे की बारिश ने शहर को जलमग्न कर डाला।

बात आप गोदौलिया की करे या तेलियाबाग की, मछोदरी की करे या फिर कबीरचौरा मार्ग की, पितृकुंड तिराहे और चौराहे की करे या फिर मातृकुंड की। थोडा आगे बढे और मुख्य मार्गो की करे अथवा गलियों की, जिधर देखो जलभराव से जनजीवन ठहर गया। इस जलभराव का नतीजा ऐसा रहा कि घंटो लंबा वाहनों का भीषण जाम नदेसर मार्ग पर दिखाई दिया। गाडियों को धक्के देकर चलते बाइक सवार दिखाई दिए। तो घुटने तक के पानी से गुज़रते राहगीर दिखाई दिए।

मगर इन सबका असर दावो पर कहा पड़ेगा। सुनेगा कौन और सुनाये किसको। जलकल विभाग के दावो को आप देखे तो सीवर सफाई ही मुह के बल आपको शहर में दिखाई देगी। आप शिकायत पर शिकायत करते रहे, नतीजा सिफर निकल कर सामने आएगा। सुझबुझ की तो बात ही न करे। ताज़ा उदाहरण आपको पितृकुंड तिराहे जिसको खडखड नाऊ तिराहा कहा जाता है का देख ले। हमने यहाँ की सीवर जाम समस्या पर समाचार प्रकाशित किया था। अब विभाग स्वतः संज्ञान लेकर अथवा फिर हमारी खबर का संज्ञान लेकर कल देर रात सफाई करवाता है। आसपास के सम्बंधित सीवर चेम्बरो की शिल्ट निकालने का बढ़िया काम हुआ।

लापरवाही फिर इसके बाद सामने आती है। सभी चेंबर से निकली शिल्ट चेंबर के बाहर ही रखी हुई थी। आज सुबह कुछ उठी और बकिया बाद में उठाने जैसी स्थिति रही होगी। भले कागजों पर शिल्ट उठ गई हो। मगर मौके पर आज दोपहर तक काफी जगहों पर मौजूद थी। इस तेज़ मुसलाधार हुई बारिश से वापस वह सभी शिल्ट सीवर के अन्दर ही चली गई होगी। नतीजा क्या सामने आएगा ये तो सम्बंधित कर्मी और अधिकारी जाने। जनता का क्या है? हम बनारसी अब बरसात के मौसम में ठेहुना तक पानी में हल के चले के आदी हो गए है। गाडी के खूब तेज़ एक्सीलेटर लेकर साइलेंसर के ऊपर तक पानी में दौड़ा के भन्न से निकल जाने की आदत है। क्या करे साहब ? ऐसे में तो ऐसा ही होता है।

कभी अधिकारी लोग ऐसे जलभराव में चल के देखे। उसका अपना एक अलग ही अनुभव होता है। पानी से बाहर निकल जाने के बाद भी जूता के अन्दर घुसा पानी पैर में गुदगुदी करता रहता है। पाँव का वज़न भी भारी हो जाता है। कभी आदमपुर थाने और लालपुर पाण्डेयपुर थाना परिसर में जाकर देखे। पानी इस जलभराव में कुर्सी के नीचे भी हिचकोले खाने को बेताब रहता है। सडको और गलियों में अधिकतर गलिफिट बंद होने से अथवा समय पर सफाई न होने से इस जलभराव की समस्या और भी अधिक बढ़ गई है। किसी भी सड़क अथवा गली में आप घूम के देख ले, अधिकतर गलीफिट या तो बंद है या फिर…..! हम तो बस यही कहेगा…. जय हो….!

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