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इमरजेंसी की बरसी पर संघ की विचारधारा से प्रेरित पत्रिका पाञ्चजन्य ने किया पूर्व पीएम इंदिरा गाँधी की तुलना तानाशाह हिटलर से

शाहीन बनारसी

इमरजेंसी की बरसी पर आज संघ की विचारधारा से प्रेरित पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से किया है। पत्रिका ने अपने नए अंक के कवर पेज पर हिटलर और इंदिरा गांधी की तस्वीर लगाई है और इसे ‘हिटलर गांधी’ का नाम दिया है। वही पीएम मोदी ने आपातकाल का विरोध करने वालो को श्रद्धांजलि अर्पित किया है।

पाञ्चजन्य ने अपने कवर पेज पर लिखा है, ‘दो तानाशाह, एक जैसी इबारत। हिटलर के जघन्य अपराधों को नकारने अथवा भुलाने पर यूरोप में कई जगह कानूनी पाबंदी है। यह उनके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है। यही स्थिति भारत में इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल की है, जिसे भुलाना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए, याद करें 25 जून 1975 की काली रात से शुरू हुई वह दास्तान।’ पाञ्चजन्य के अलावा पीएम मोदी समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इमरजेंसी को याद कर कांग्रेस पर निशाना साधा है।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि ‘मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। #DarkDaysOfEmergency हमारे इतिहास में एक कभी न भुलाए जाने वाला समय है, जो हमारे उन संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है जिन पर हमें गर्व है।’

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, ‘25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूँ।’ पार्टी ने एक करीब सात मिनट का वीडियो भी जारी किया है जिसे इमरजेंसी के ऊपर बनाया गया है।

बताते चले कि आज 25 जून को ही वर्ष 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी, जिसके बाद तमाम विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई थी। इमरजेंसी के अगले दिन सिर्फ हिंदुस्तान टाइम्स और स्टेट्समैन ही छप पाए थे क्योंकि उनके प्रिंटिंग प्रेस बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर नहीं थे। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि सरकार ने बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर मौजूद संस्थानों की बिजली काट दी थी। इमरजेंसी से कुछ दिन पहले यानी 12 जून को ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी।

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