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इतने ट्रेन हादसे और बुलेट ट्रेन का ख्वाब: कडवा ही सही मगर सवाल वाजिब है, देखे वायरल होता वह वीडियो जिसको देख कर हर एक इंसानियत का दिल फुट फुट कर रो पड़ेगा

तारिक़ आज़मी (इनपुट: आनंद यादव)

डेस्क: हम ख़ुशी से खुद को सराबोर महसूस कर रहे है कि हमारे देश में बुलेट ट्रेन आने वाली है। कई व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर तो भारत में बुलेट ट्रेन के पाठ पढ़ाना भी शुरू कर दिया है। जिस ‘वन्दे भारत; ट्रेन की उपलब्धि आपका पसंदीदा मीडिया चैनल और भोपू पत्रकारिता गिनवा रही है। उस ‘वन्दे भारत’ ट्रेन में कितने फीसद भारत के आम नागरिक ऐसी आर्थिक क्षमता रखते है जो सफ़र कर सकते है को बताना उनके लिए ज़रूरी नही है।

इस ट्रेन हादसे से सम्बन्धित समाचार आपके पसंदीदा अख़बार के पहले पन्ने पर कई तस्वीरो के साथ छपे। मरने वालो की संख्या और घायलों की संख्या बताया गया। मगर क्या इंडियन एक्सप्रेस की आज जो रिपोर्ट उसने प्रकाशित किया है उसको आधार बना कर यही खुद को नंबर एक अख़बार कहने वाले पहले पन्ने पर यह खबर प्रकाशित करेगे? हम तो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के उस क्लासरूम में खुश है जहा एसी रूम में बैठ कर व्हाट्सएप के प्रोफ़ेसर बने अंकल आंटी ट्रेन के सुपर फ़ास्ट स्पीड की तारीफ कर रहे है।

मगर व्हाट्सएप प्रोफ़ेसर बने अंकल आंटियो के पोस्ट में इसकी चर्चा तो बेशक नही मिलेगी कि कभी मवेशियों से तो कभी अन्य पशुओ से टकराने के कई हादसे हुवे है। बेशक इस प्रकार की दुर्घटनाओ में कोई जनहानि नही हुई है। मगर दुर्घटनाये तो है। रेलवे पुलिस ने ग्रामीणों से उनके पशुओ को रेलवे ट्रैक पर न जाने के लिए ख्याल रखने को कहा है। मगर इसमें छुट्टा पशुओ का क्या होगा इसके बारे में भी ज़िक्र होना चाहिए। उनके लिए तो रेलवे ट्रैक और खेत दोनों एक समान होते है। वो बेजुबान भूखे जानवर खुद की भूख मिटा कर कही भी बैठ जाते है।

कल देर शाम हुवे ओडिशा में हुए भीषण रेल हादसे को लगभग 24 घंटे गुज़र चुके है। मिल रही जानकारी के अनुसार इस हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि इस राहत और बचाव कार्य हेतु काम चल रहा है। वही दूसरी तरफ रेलवे की तरफ से कुछ जवाबों की तलाश किया जा रहा है कि हादसे का कारण क्या था? अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि हादसे की वजह सिग्नल व्यवस्था में आई दिक्कत हो सकती है। अब इस बात को क्या आपका पसंदीदा अख़बार अपने पहले पन्ने पर इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से प्रकाशित कर सकता है?

बहरहाल, हादसे तो चन्द लम्हों के होते है। मगर उन हादसों का दर्द सदियों तक रहता है। आज सूबह से सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। बेशक आप इंसानियत का दिल में दर्द रखते है तो एक बाप की इस बेचैनी और बेबसी को आप समझ सकते है कि उस बाप पर क्या गुज़र रही होगी जो अपने बेटे को इस ट्रेन में मृतकों की लाशो के बीच तलाश रहा है। किसी अपने को खो देने के ख्याल से ही हमारी रूह काँप जाती है। यहाँ तो एक बाप अपने बेटे की तलाश लाशो के बीच कर रहा है। आइये पिछले दस सालो में हुवे कुछ बड़े रेल हादसों के दर्द पर एक नज़र डालते है।

वर्ष 2014 के 26 मई की चिलचिलाती गर्मी में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास रुकी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे 25 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा घायल हो गए थे। वर्ष 2016 के सर्दियां शुरू होने के लिए सोच रही थी कि 20 नवंबर को इंदौर-पटना एक्सप्रेस 19321 कानपुर में पुखरायां के करीब पटरी से उतर गई, जिसमें कम से कम 150 यात्रियों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक घायल हो गए थे।

वर्ष 2017 में जब बरसात खुद को शबाब पर लाने की तैयारी में थी तो 23 अगस्त को दिल्ली की ओर आ रही कैफियत एक्सप्रेस के नौ डिब्बे उत्तर प्रदेश के औरैया के पास पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम 70 लोग घायल हो गए थे। ये हादसा होने के ठीक पहले 18 अगस्त को पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर में पटरी से उतर गई थी, जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60 अन्य घायल हो गए थे। वर्ष 2022 के कडाके की ठण्ड अपने जलवे बिखेर रही थी कि मौत भी उस दिन मुस्कुरा कर 9 लोगो को गले लगा ली। तारीख थी 13 जनवरी जब बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के कम से कम 12 डिब्बे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में पटरी से उतर गए, जिससे नौ लोगों की मौत हो गई थी और 36 अन्य घायल हो गए थे।

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