ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना, कहा- हादसा दूसरे राज्य में हुआ, तो ममता बनर्जी सीबीआई जांच से क्यों डर रही हैं?
आदिल अहमद
डेस्क: ओडिशा के बालासोर के शुक्रवार को बहनागा बाजार में ट्रेन हादसा हो गया था। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को दो लाख रुपये और अन्य घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत हुई है। जबकि, 1100 लोग घायल हो गए। वही इस घटना में सियासत भी तेज़ी से गर्म हुई। विपक्षी नेता एक दुसरे पर तंज कसते हुए तथा सियासत करते हुए नज़र आये।
ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। पश्चिम बंगाल भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हादसा दूसरे राज्य में हुआ, तो ममता बनर्जी सीबीआई जांच से क्यों डर रही हैं? एक रेलवे अधिकारी की मानें तो अब तक करीब 101 लाशें ऐसी हैं, जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने घटना को लेकर ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि घटना टीएमसी की साजिश है। सीबीआई जांच से ममता बनर्जी डर क्यों रही हैं? हादसा दूसरे राज्य में हुआ है तो ममता बनर्जी जांच से घबरा क्यों रहीं हैं? उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी ने पुलिस की मदद से दो रेलवे अधिकारियों के फोन टैप कर लिए। उन्हें दोनों अधिकारियों की बातचीत के बारे में जानकारी कैसे लगी? बातचीत कैसे लीक हुई, यह भी जांच का विषय है। सीबीआई जांच के दौरान इसकी भी जांच होनी चाहिए, नहीं तो मैं कोर्ट जाऊंगा।
वही पूर्वी-मध्य रेलवे के डिविजनल रेलवे मैनेजर रिंकेश रॉय ने बताया कि बालासोर हादसे में करीब 1100 लोग घायल हुए थे। इनमें से 900 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। लेकिन अब भी करीब 200 लोग ओडिशा के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज जारी है। रॉय का कहना है कि 275 मृतकों में अब भी 101 लाशें ऐसी हैं, जिनकी अबतक पहचान नहीं हो सकी है।
भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर विजय अमृत कुलांगे ने बताया कि भुवनेश्वर में 193 शव रखे गए थे। इनमें से 80 शवों की पहचान हो चुकी है। 55 शवों को हमने उनके परिजनों को सौंप दिया है। निगम द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 1929 पर 200 से अधिक कॉल आए हैं। शवों की जैसे-जैसे पहचान हो रही है, वैसे-वैसे हम उन्हें परिजनों को सौंपते जा रहे हैं।