फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी पुलिस के अजब गजब कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। या फिर कहा जा सकता है कि 4 का आकड़ा खीरी पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। अभी कुछ दिनों पहले ही समाचार आया था कि एक 4 साल के मासूम बच्चे पर गम्भीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। मामला जब एसपी के संज्ञान में आया और बच्चे के परिजनों ने एसपी से मुलाकात कर मामले की जानकारी दिया तो विभाग में हडकंप मच गया था। अब एक और मामला चर्चा के केंद्र में है। जिसको सुनकर सभी अचरज से कह उठ रहे है कि ये कैसे संभव है?
शिकायत में बताया गया है कि इससे अनीस गौरी को गम्भीर चोट आई और वह बुरी तरीके से घायल हो गए। खीरी थाने के एसएचओ ने आनन-फानन में तहरीर पर बिना जांच किए हुए नफीस और शकील पर संगीन धाराओं में ऍफ़आईआर लिख डाली, जबकि नफीस जो रामापुर का रहने वाला था ऊसकी करीब 4 साल पहले मौत हो गई थी। जब ऍफ़आईआर के बारे में नफीस की पत्नी कमरूनिसा को पता चला तो उसके होश उड़ गए और वह न्याय की गुहार लेकर आज शनिवार को एसपी कार्यालय पहुंच गई और मृतक नफीस का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया तथा आरोप लगाया कि अनीस गौरी ने उसकी ज़मीन कब्ज़ा कर लिया है, जिससे वह अपने प्लाट पर जा भी नही सकती है।
पीडिता ने आरोप लगाया कि उसको डराने के लिए अनीस गौरी ने खीरी पुलिस से मिलकर एक झूठा शिकायती पत्र देकर ऍफ़आईआर दर्ज करवाया है जिसमे उसके मृतक पति नफीस पर आरोप है कि उसने हवा में असलहा लहराया और अनीस तथा उसके दोस्तों की पिटाई किया। कमरूननिसा ने शिकायती पत्र में लखनऊ से प्रकाशित एक समाचार पत्र का भी हवाला दिया और शिकायत किया कि ऍफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए इस समाचार पत्र में झूठी खबर प्रकाशित किया गया, जिसके बाद खीरी पुलिस ने ऍफ़आईआर दर्ज कर लिया है। जबकि उसके पति की मृत्यु वर्ष 2019 में हो गई है। ऐसे में वह कैसे असलहा लहराकर किसी की पिटाई कर सकते है।
इस मामले में जिले के अपर पुलिस अधीक्षक नेपाल सिंह का कहना है खीरी थाने का मामला सामने आया है, जिसकी कुछ वर्ष पहले मौत हो चुकी है, मामले की जांच कर मृतक का नाम ऍफ़आईआर से हटा दिया जाएगा। यह मानवीय भूल हुई है फिलहाल मामले की जांच करा उचित कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल ये है कि जमीनी विवाद को लेकर दबंगों का साथ देने के लिए जिन पर मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया है, जब उसकी मृत्यु 4 साल पहले ही हो चुकी है वो तमंचा कैसे लहरा सकता है ? इसका मतलब है कि आरोप झूठा है। फिर कैसे खीरी पुलिस ने मामले में बिना जाँच किये ही इन गम्भीर धाराओ में मुकदमा दर्ज कर लिया? शिकायतकर्ता की इस शिकायत पर मानवीय भूल करार देना क्या न्यायोचित होगा?
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