तारिक़ आज़मी
डेस्क: मणिपुर में 3 मई से भड़की हिंसा पर अब रोज़ रोज़ कुछ न कुछ नया सुनने और मीडिया रिपोर्ट जो कम से कम ऐसे वक्त में भोपू मीडिया के तरह मुद्दे को भटका नही रही है, कि रिपोर्ट्स में पढने के लिए आ रहा है। इसी क्रम में अभी कल समाचार आया था कि मणिपुर में महिलाओं के साथ दरिंदगी का वीडियो जिस गाँव का वायरल हुआ था, वहां घटना के दुसरे दिन पुलिस टीम जांच हेतु गई थी, मगर पुलिस ने उस जाँच में ‘आल-इज-वेल’ कह दिया था।
अपनी बेबाक खबरों के लिए मशहूर द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अखबार ने इस संबंध में दर्ज की गई एफआईआर देखी है। अख़बार ने बताया है कि इस ऍफ़आईआर के मुताबिक पुलिस 4 मई को 21 वर्षीय हंग लाल मुआन वैफेई को अदालत से सजीवा जेल ले जा रही थी, जब पोरोमपट इलाके में भीड़ ने उन्हें रोक दिया। सशस्त्र भीड़ ने पुलिस से उनके हथियार लूट लिए और वैफेई को पीट-पीटकर मार डाला, जबकि पुलिस ‘खुद को बचाने के लिए वहां से भाग निकली थी’।
अख़बार इस बात का भी ज़िक्र अपने रिपोर्ट में करता है कि यह मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में क्रूरता की पहली घटनाओं में से एक थी, जिनमें से कुछ का ब्योरा धीरे-धीरे सामने आ रहा है। 4 मई को पोरोमपट पुलिस स्टेशन में दंगा और हत्या की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर दर्ज करने के दो दिनों में संबंधित पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने इसे ‘हिरासत में मौत’ के रूप में चिह्नित करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक शिकायत भेजी। एनएचआरसी ने मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और इसे राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष रखा है।
रिपोर्ट के अनुसार, चुराचांदपुर जिला 27 अप्रैल के बाद तनाव में था, जब कुकी-ज़ोमी समूहों ने मुख्यमंत्री एन। बीरेन सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में उस जिम को जला दिया था, जिसका वह उद्घाटन करने वाले थे। इन सब के बीच चुराचांदपुर कॉलेज में बीए (भूगोल) के छात्र वैफेई ने सोशल मीडिया पर ‘बॉन ली’ नाम के एक उपयोगकर्ता द्वारा वायरल पोस्ट देखी थी, जिसमें कुकी-ज़ो लोगों की समस्याओं के लिए मुख्यमंत्री सहित मेईतेई राजनेताओं को दोषी ठहराया गया था।
छात्र ने इसे अपने फेसबुक एकाउंट पर दोबारा पोस्ट किया और 24 घंटे के भीतर इसे हटा दिया, ऐसा उन्हें जानने वाले लोगों ने बताया। हालांकि, उनके परिवार के अनुसार, 30 अप्रैल को पुलिस उनके घर पहुंच गई। द हिंदू के अनुसार, अब यह खुलासा हुआ है कि जिस मामले में वैफेई को गिरफ्तार किया गया था वह वास्तव में ‘बॉन ली’ के खिलाफ दर्ज किया गया था। पोस्ट में आरोप लगाया गया था कि मेईतेई समुदाय के नेता कथित तौर पर मुख्यमंत्री के समर्थन से ‘आदिवासी भूमि हड़पने’ के लिए पहाड़ियों में अफीम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और इसके लिए आदिवासियों को दोषी ठहरा रहे हैं।
पोस्ट में मेईतेई समुदाय को ‘नस्लवादी’ और ‘भारत विरोधी’ के रूप में भी चित्रित किया गया, यह दावा करते हुए कि वे मणिपुर की समस्याओं के कारण थे। उनके परिवार ने कहा कि 3 मई को जैसे ही वैफेई को इस मामले में जमानत दी गई, पुलिस ने उन्हें उसी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए इंफाल पुलिस स्टेशन में दर्ज एक समान मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। पहली एफआईआर 30 अप्रैल को रात 10 बजे दर्ज की गई थी, इसमें दावा किया गया था कि ‘बॉन ली’ ने रात 9:50 बजे पोस्ट किया था। उसी दिन इसमें कहा गया कि पोस्ट सुबह 9:50 बजे की गई थी।
वैफेई की हत्या के मामले में एफआईआर इंफाल पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर एल। संजीव सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जो उनकी जांच कर रहे थे और 4 मई को उन्हें अदालत से जेल तक ले जा रहे थे। घटना के वक्त सब-इंस्पेक्टर अपने निजी वाहन में थे, जबकि पुलिसकर्मियों की एक टीम पुलिस वाहन में वैफेई के साथ थी। शिकायत के अनुसार, जब वे पोरोमपट स्थित पॉपुलर हाई स्कूल पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि लगभग 800 पुरुषों और महिलाओं की भीड़ जेल रोड पर सभी वाहनों की जांच कर रही थी। तब सब-इंस्पेक्टर संजीव सिंह ने बैकअप के लिए जिला एसपी कंट्रोल रूम को फोन किया।
वे वहां वापस भी नहीं लौट सके, क्योंकि एक दूसरी भीड़ ने उनका रास्ता रोक दिया था और इसलिए वे आगे बढ़े। इसके बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों के हथियार और गोला-बारूद छीन लिए, उन्हें बंदूक की नोक पर रखा और वैफेई को वाहन से बाहर खींच लिया। उस दिन सात घंटे बाद लगभग रात 10:30 बजे घटना के बारे में अपनी शिकायत दर्ज करते हुए सब-इंस्पेक्टर ने लिखा, ‘यह बताना उचित होगा कि आरोपी छात्र हंगलालमुआन वैफेई का शव अनियंत्रित भीड़ के कब्जे में रहा’। वैफेई के परिवार के सदस्य, जो चुराचांदपुर के थिंगकांगफाई ज़ोमी बेथेल में हैं, ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनका शव कहां है।
द हिंदू से बातचीत में वैफेई की मां ने कहा, ‘हमें पुलिस ने बताया कि उसका शव जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, इंफाल में रखा गया है, लेकिन हम इंफाल जाने के बारे में सोचने की स्थिति में भी नहीं हैं।’ अख़बार ने साफ़ साफ़ लिखा है कि रिपोर्ट में बताया कि इंफाल पश्चिम जिले के एसपी, जिनके अधिकार क्षेत्र में इंफाल थाना आता है, या थाने के प्रभारी अधिकारी ने उसके कॉल का जवाब नहीं दिया। इंफाल पूर्वी जिले के एसपी, जहां वैफेई की हत्या का मामला दर्ज किया गया था, ने भी कॉल का जवाब नहीं दिया। इंफाल पश्चिम जिले के एसपी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इस मामले में एनएचआरसी नोटिस मिला है।
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