ईदुल अमीन/अजीत शर्मा
डेस्क: मणिपुर हिंसा से जुड़ी एक घटना के वीडियो ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हंगामा मचा दिया है। इस वीडियो भीड़ में घिरी दो महिलाएं दिख रही हैं। उनके शरीर पर कपड़े नहीं हैं। भीड़ में शामिल पुरुष उनके साथ अमानवीय व्यवहार करते दिख रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स और मणिपुर के एक संगठन के मुताबिक घटना बीती 4 मई की है। इन दोनों महिलाओं को नग्न कर उनकी परेड कराई गई थी और कथित रूप से उनका बलात्कार किया गया था।
ITLF की प्रेस रिलीज में दावा किया गया है कि घटना 4 मई की है। घटनास्थल कांगपोकपी ज़िले का ‘बी। फीनोम’ गांव बताया गया है। जानकारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई है। पुलिस को दी गई शिकायत में गांव के मुखिया ने इस घटना का पूरा ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक 4 मई की दोपहर 3 बजे के आसपास लगभग 900-1000 लोगों की भीड़ उनके गांव ‘बी। फीनोम’ आई, जो संभवतः मैतेई संगठनों के लोग थे। उनके पास भारी मात्रा में ऑटोमैटिक हथियार थे। उन लोगों ने गांव के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट के बाद आग लगा दी थी।
भीड़ से जान बचाने के लिए 3 महिलाएं और 2 पुरुष जंगलों की तरफ भागे। उन्हें पुलिस की एक टीम बचाकर पुलिस स्टेशन ले जाने लगी, लेकिन एक भीड़ ने उन लोगों का रास्ता रोक लिया। हिंसक भीड़ पुलिस से जबरन इन पांच लोगों को छुड़ा ले गई। फिर 56 साल के एक आदमी को भीड़ ने वहीं मार डाला। 21 साल, 42 साल और 52 साल की तीन महिलाओं के कपड़े फाड़े और निर्वस्त्र करके जुलूस निकाला और इस सबका वीडियो भी बनाया।
इसके बाद ये भीड़ धान के खेतों की ओर गई, जहां 21 साल की लड़की का उसके 19 साल के भाई के सामने गैंगरेप किया गया। भाई ने जब अपनी बहन को बचाने की कोशिश की तो उसकी हत्या कर दी गई। बाद में तीनों महिलाएं कुछ लोगों की मदद से वहां से भाग निकलीं। ITLF की प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना अपराधियों के उस वीडियो को शेयर करने से बढ़ गई है, जिससे सोशल मीडिया पर पीड़ितों की पहचान जाहिर हो रही है।’ ITLF ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग इसका खुद संज्ञान ले और पीड़ितों को इंसाफ देने के लिए हर जरूरी कदम उठाए।
बता दें कि इस पूरे मामले में कांगपोकपी ज़िले के साइकुल पुलिस स्टेशन ने 21 जून को ऍफ़आईआर दर्ज की थी। ऍफ़आईआर में एक पीड़िता के साथ गैंगरेप की बात लिखी है। हालांकि, Scroll की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की पीड़िता ने गैंगरेप की बात से इनकार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता ने कहा है कि भीड़ उसे खींचकर खेत ले गई थी, हालांकि वो बच गई। मणिपुर पुलिस ने इस मामले में कहा है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है।
द स्क्रोल में पीडिता महिला का बयान भी है। वह द स्क्रोल को बताती है कि उस दिन ‘मैतई’ समुदाय के लोगों भीड़ पड़ोस के एक गांव में घरों को जला रही थी। तब उनका परिवार एक कच्ची सड़क से भाग निकला था। लेकिन भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया। इस महिला ने बताया कि उनके पड़ोसी और उसके बेटे को थोड़ी दूर ले जाकर मार दिया गया। इसके बाद भीड़ ने महिलाओं का उत्पीड़न करना शुरू किया और उन्हें कपड़े उतारते को कहा। पीड़ित महिला ने कहा, ‘हमने विरोध किया, पर हमें जान से मारने की धमकी दी गई।’ 40 साल से ज्यादा उम्र की इस महिला ने जान बचाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार दिए। इस दौरान भीड़ में शामिल पुरुष उन्हें लगातार थप्पड़, घूंसे मार रहे थे। इस महिला ने बताया कि उनकी पड़ोसी लड़की के साथ क्या हो रहा था, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। पीड़िता ने पड़ोसी लड़की की उम्र 21 साल बताई है।
रिटायर्ड आईपीएस सूर्य प्रताप सिंह ने घटना की भर्त्सना करते हुवे केंद्र सरकार को निशाना पर लिया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि ‘मणिपुर में कोई सरकार है, क्या? ये मणिपुर में कुकी लड़की का शर्मनाक वीडियो है जो वायरल है। लड़की को निर्वस्त्र करके, स्तनों के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसके जनांगों में हाथ डाला जा रहा है, खुली परेड की जा रही है। 38 की मीटिंग खत्म हो गई हो,तो मणिपुर का “म” जुबान पर ले आइए, हजूर।‘
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