तारिक़ आज़मी
मणिपुर हिंसा…! 3 मई से चल रही इस हिंसा में अब तक करीब 150 लोग मारे जा चुके है। ये वह आकडे है जिसकी सरकार पुष्टि करती है। दर्जनों चर्चों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। मगर देश में आपका भोपू मीडिया, जी वही जिसके लिए आप पैसे खर्च करते है और अपना टीवी रिचार्ज करवाते है। दिन भर भोपू की तरह बजता रहा है और आपको ‘हिन्दू-मुसलमान’ जैसे मुद्दे पर भटकाता रहता है। उसी की बात कर रहा हूँ..। वही क्यों…..? सुबह सुबह आपके दरवाजे के अन्दर तशरीफ़ लाने वाले तेलार्पण भी…..।, क्या किसी ने आपको इसके बारे में जानकारी दिया था?
इसके बाद पीएम मोदी ने संसद में अपने 8 मिनट 25 सेकेण्ड में से 36 सेकेण्ड मणिपुर पर कल पहली बार दिया। अब मज़बूरी तेलार्पण पद्धति और भोपू मीडिया की भी हो गई कि इसके ऊपर कुछ बोले। आपने कल से लेकर आज सुबह सुबह आपके घर में आने वाले पहले सज्जन के हाथो में इसकी ताबीर देख लिया होगा। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर लोग मणिपुर के वीडियो पर बहुत कुछ ज्ञान देकर बात जोधपुर और छत्तीसगढ़ भी कर रहे होंगे। मेरे पास भी एक दो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले ग्रुप है। देख रहा हु कल से कि किस तरह व्यक्तिगत रंजिश में बुद्धवार की सुबह जोधपुर में हुई 4 साल के मासूम बच्चे सहित कुल 4 लोगो की सामूहिक हिंसा का अलग ही रुख दिया जा रहा है और आपको बताया जा रहा है कि जो पकड़ा गया है उसका नाम पप्पू है। वैसे पूरा नाम उसका पप्पू राम है और पुलिस ने आला क़त्ल बरामद करते हुवे दावा किया है कि घटना पुरानी रंजिश के कारण हुई थी।
बहरहाल उससे हमको क्या है भाई…? फिलहाल तो एक लफ्ज़ हर तरफ सुनाई दे रहा है। वह है शर्मसार….! तेलार्पण से लेकर भोपू मीडिया तक अब इस शब्द का कल से इस्तेमाल कर रही है। विपक्ष में रहते हुवे बात बात में चूड़ियाँ भेजने की बात करने वाले स्मृति इरानी साहिबा ने भी इस शब्द का इस्तेमाल कर लिया। ठीक है सभी शर्मसार है तो थोडा हम भी हो लेते है। वैसे तो हमने इस मुद्दे पर काफी बार लिखा। उपलब्ध सूचनाओं को आप तक इमानदारी से पहुचाया। मगर फिर भी थोडा शर्मसार होना तो हमारा भी बनता है जब 19 जुलाई का वीडियो वायरल होता हुआ नज़र के सामने से गुज़रा। हालात देख कर मेरे जैसे काफी लोग थे जिनके अन्दर एक अजीब बेचैनी रही। रात भर नींद नही आई। वैसे भी नींद तो हमारी सुबह ही अपनी आमद करती है। मगर उस कल सुबह भी इसी वीडियो के सीन आँखों के सामने नाच रहे थे। हम भी मुल्क के अमन पसंद लोगो की उसी जमात में खुद को खड़ा देख रहे थे जिसमे लोग खुद को ही ‘बेआबरू’ होता समझ रहे थे।
4 मई की इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद अब जो सच बताने वाले डिजिटल मीडिया वाले कुछ बचे है उनके द्वारा एक साक्षात्कार और भी चल रहा है। इस साक्षात्कार को भी पढ़कर थोडा शर्मसार तो हुआ ही जा सकता है। ये इंटरव्यूव है कारगिल युद्ध लड़ने वाले असम रेजिमेंट के एक रिटायर्ड सूबेदार का जिन्होंने इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि ‘मैंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी। मैं उस भारतीय शांति सेना का हिस्सा रहा जो श्रीलंका में तैनात थी। मैंने देश की रक्षा की लेकिन मुझे दुख है कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मैं अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका।’ वो जब यह कह रहे थे तो उनकी आखें नम थीं। उन्होंने कहा, ”मैंने कारगिल में मोर्चे पर लड़ते हुए युद्ध देखा है। अब रिटायरमेंट के बाद जब घर पर हूं, तो मेरी अपनी जगह युद्ध के मैदान से भी ज्यादा खतरनाक हो गई है।’ इस घटना में एक पीडिता के पति का आरोप है कि 4 मई की सुबह एक भीड़ ने इलाके के कई घरों को जला दिया। दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया और उन्हें लोगों के सामने गांव की पगडंडियों पर चलने के लिए मजबूर किया। उस दौरान पुलिस मौजूद थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। वैसे मणिपुर पुलिस अब थोडा जागने की कोशिश कर रही है और अब तक इस मामले में कुल चार लोगों की गिरफ्तार कर चुकी है।
ओह….! शर्मसार और हुवे आप, चलिए थोडा मणिपुर पुलिस के हवाले से कुछ लफ्ज़ हो जाए। घटना तो मणिपुर पुलिस के संज्ञान में हुई जैसा पीडिता और अन्य लोग कह रहे है। फिर घटना के सम्बन्ध में मणिपुर की स्थानीय पुलिस ने 18 मई को ऍफ़आईआर दर्ज किया। आप सोचियेगा तो बिलकुल मत कि बात-बात में ठोकने की शैली रखने वाली मणिपुर पुलिस घटना के समय क्या हाथ बाँध कर खडी थी ? 18 मई को दर्ज हुई ऍफ़आईआर में 19 जुलाई तक धुल जम चुकी होगी। मगर 19 जुलाई को चली इस घटना के वायरल वीडियो की आंधी ने एक झटके में धुल उड़ा डाला। अब पुलिस ने महज़ 2 दिनों में 4 को गिरफ्तार कर लिया है। यहाँ ऍफ़आईआर में ज़िक्र 900-1 हज़ार लोगो का है। थोडा वक्त तो और चाहिए मणिपुर पुलिस को तब तो शांति बहाल करते हुवे कार्यवाही होगी।
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