तारिक़ आज़मी
वाराणसी: बीते दिनों वाराणसी के राजघाट स्थित महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बने सर्व सेवा संघ के परिसर को उत्तर रेलवे द्वारा ‘अतिक्रमण’ बताते हुए ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया गया था, जिसको लेकर संघ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। शनिवार को सुबह से ही रेलवे पुलिस और प्रशासन की टीम यहां से ‘कब्जा’ हटाने पहुंची। इस दौरान कार्रवाई का विरोध कर रहे लोगों को एडीएम (सिटी) के निर्देश पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कार्रवाई के दौरान परिसर में बनी लाइब्रेरी का सारा सामान निकालकर बाहर स्थित गांधी प्रतिमा के आगे डाल दिया गया।
जिस परिसर को लेकर हालिया विवाद है, उससे एक प्रकाशन- सर्व सेवा संघ प्रकाशन, आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आने वाले बच्चों के लिए एक निशुल्क प्री-स्कूल, एक गेस्ट हाउस, एक पुस्तकालय, मीटिंग हॉल, गांधी आरोग्य केंद्र (प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र), एक युवा प्रशिक्षण केंद्र और खादी भंडार संचालित होते हैं। उत्तर रेलवे की तरफ से सर्व सेवा संघ को इसके 12.9 एकड़ के इसके परिसर में स्थित कई भवनों को ध्वस्त करने का नोटिस मिला था। सेवा संघ का कहना है कि ‘वाराणसी के परगना देहात में उसने ‘1960, 1961 और 1970′ में भारत सरकार से यह जमीन तीन रजिस्टर्ड डीड के जरिये खरीदी थी।’
सर्व सेवा संघ की वेबसाइट बताती है कि अप्रैल, 1948 में पांच संगठनों-अखिल भारत चरखा संघ, अखिल भारत ग्राम उद्योग संघ, अखिल भारत गौ सेवा संघ, हिंदुस्तानी तालिमी संघ और महरोगी सावा मंडल के विलय के बाद यह अस्तित्व में आया था। महात्मा गांधी की मृत्यु के उपरांत पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व राष्ट्रपति डॉ।राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर संपूर्णानंद, आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण आदि लोगों की पहल से सर्व सेवा संघ को शुरू किया गया था।
बताया जाता है कि महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से सर्व सेवा संघ और गांधी विद्या संस्थान का गठन किया गया। सेवा संघ का दावा है कि 1963 में समाजवादी आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की। इसका उद्घाटन लाल बहादुर शास्त्री ने किया और रेलवे से जमीन लेकर इसकी रजिस्ट्री भी कराई गई थी। परिसर में बने गांधी विद्या संस्थान में चालीस कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहते हैं। बताया गया है कि साल 1963 में सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत गांधी विद्या संस्थान का पंजीकरण हुआ और सर्व सेवा संघ ने अपनी जमीन का एक हिस्सा 20 साल के लिए संस्थान को दे दिया।
क्या हुआ शनिवार की सुबह
शनिवार की सुबह प्रशासन की टीम के साथ कई थानों का बल भी भवन को खाली कराने पहुंचा था, जिसके साथ बुलडोजर और नगर निगम की गाड़ियां थीं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भवन में रहने वालों को परिसर खाली करने और बाहर आने की चेतावनी देने के बाद कार्यकर्ताओं ने प्रशासन का विरोध शुरू कर दिया और गेट पर धरना प्रदर्शन करते हुए आक्रोश जताया। इस पर सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल और प्रदेश अध्यक्ष राम धीरज समेत सात लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया।
उन्होंने लोगों से समर्थन और एकजुटता दिखाने की अपील करते हुए रविवार (23 जुलाई) को इस कार्रवाई का विरोध करने का आह्वान करते हुए कहा है कि गांधी-विनोबा-जेपी के अनुयायी और लोकतंत्र के प्रेमी और भारतीय संविधान का सम्मान करने वाले लोगों से अनुरोध है कि वे अपने-अपने तरीके से, लेकिन शांतिपूर्ण, अपने-अपने स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करें।
शनिवार की कार्रवाई की खबर लगते ही इसका चौतरफा विरोध भी शुरू हो गया। उत्तर प्रदेश की सिराथू विधानसभा से विधायक डॉ0 पल्लवी पटेल ने भी कार्रवाई का विरोध किया और लिखा, ‘गांधी विद्या संस्थान व सर्व सेवा संघ वाराणसी के परिसर में विधि विरुद्ध तरीके से भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे जबरन कब्जा व ध्वस्तीकरण की हम कड़ी भर्त्सना करते हैं।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कई ट्वीट करते हुए कार्रवाई का विरोध जताते हुए लिखा, ‘गांधी विचार के विरासत वाली संस्था सर्व सेवा संघ, वाराणसी परिसर को बुलडोजर से रौंदने के लिए पुलिस पहुंच चुकी है। आप जहां हैं वहीं से सोशल मीडिया पर विरोध दर्ज कराएं। आप जहां भी हों, वहीं से स्वविवेक का इस्तेमाल करते हुए इस विरासत को बचाने का प्रयास कीजिए।’ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भी इस कार्रवाई को रुकवाने की अपील की।
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