तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन अपने अधिनस्थो को नियमो का पालन करने और इलाके में कोई काम अवैध न होने की नसीहते समय समय पर देते रहते है। वही डीसीपी काशी भी खुद देर रात तक चक्रमण करते रहते है। मगर फिर भी देर रात क्या पूरी रात शराब बिकने से रोकने में चेतगंज पुलिस तो कम से कम नाकाम ही है। इस इलाके में पूरी रात शराब की अब उपलब्धता रहती है।
मामला चेतगंज स्थित देसी शराब ठेके का है। बताया जाता है शराब का कारोबारी ‘ऊँची’ पकड़ वाला है। भले उसकी ये ऊँची पकड़ पूर्वर्ती चौकी इंचार्ज सुमन यादव के सामने नही चल पा रही थी और घडी देख कर रात 10 बजे दूकान बंद करना पड़ रहा था। मगर अब उसकी चांदी क्या सोने हो गए है। इस शराब के ठेके से किसी भी समय शराब आप ले सकते है। पीने के जगह की कमी हो तो सामने सड़क पर बने दुकानों के चबूतरो पर बैठ कर पी ले। चखना भी शराब के ठेके से मिल जायेगा। अब देर रात चस्का लगा तो थोडा पैसे अधिक लग सकते है।
तस्वीर इस बात की गवाह है। 5 अगस्त को रात 4 बजे की ये तस्वीर है। ऐसी कई तस्वीरे हमारे पास उपलब्ध है। दूकान का दरवाज़ा बंद हो जाता है। अन्दर लाइट जलती रहती है। ये जलती हुई लाइट इस बात का संकेत है कि शराब उपलब्ध है। बस दरवाजे को दो चार बार थोक दे। अन्दर से आवाज़ आयेगी ‘क़ा चाही’। फिर आप बाहर से बोल दे क्या चाहिए, उदहारण के तौर पर ‘दू ठे अद्धा अऊर तनिक चखना दे दिहा।’ फिर सिमसिम के अन्दर से आवाज़ आएगी, ‘अलादीन क्या है तेरा अगला सीन’। द पईसा द। पैसे देते ही आपको माल मिल जायेगा। गिलास भी उपलब्ध है प्राप्त किया जा सकता है।
अब बची पीने की समस्या कि कहा पिया जाए। तो बाहर सड़क पर दुकानों के चबूतरो पर जाम छलका ले। रोकेगा कौन ? ‘पुलिस…..! सब कुछ चंगा सी।’ अक्सर ही कुछ पीकर वही नाली में सो जाते है। कोई फर्क नही पड़ता है। हमारा दफ्तर से गुजरने का अक्सर रास्ता ये रहता है। दो चार छलकते जाम मिल जाया करते है। वक्त भी मेरा ऐसा रहता है कि सडको पर मेरे और भुत के अलावा कोई न मिले। एक दारुबाज़ से पूछ लिया परसों कि ‘क़ा मालिक….! कहा मिलल….! बताई दिहिस कि जा गल्ली में, दरवज्वा ठोका मिल जाई। हमने प्रयास किया तो वाकई डील होने लगी। सिमसिम सच में बोलता है साहब।
भाई आज तक तो ये जाम लबो तक आया नहीं, अब आखरी वक्त में क्या ख़ाक……! के तर्ज पर हम धीरे से सरक लिए। हमारी सहयोगी शाहीन बनारसी ने चेतगंज चौकी इंचार्ज मालती प्रजापति से जब इस सम्बन्ध में जानकारी हासिल करने के लिए फोन किया तो कई बार उन्होंने आवाज़ थोडा कम आ रही और धीरी आ रही का ज़िक्र किया। फिर जब समझ गई कि ‘पूछ के मानेगी सवाल’, तो कहा मेरी जानकारी में नही है। पता करवाती हु। तो हमने भी एक दिन सब्र किया। मगर पता है साहब कल भी ऐसे ही दारु बिक रही थी। आप हसियेगा एकदम नही क्योकि चौकी इंचार्ज ने कह दिया जानकारी में नही है तो हमने मान लिया साहब। बस बात खत्म…..!
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