शाहीन बनारसी
डेस्क: राहुल गांधी ने गुरुवार को मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में ओसीसीआरपी रिपोर्ट को लेकर अदानी समूह पर निशाना साधा। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस समर्थित संस्था ‘ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी)’ की ओर से अदानी समूह पर आरोप लगाया गया है और गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
क्या है रिपोर्ट ?
गुरुवार को प्रकाशित ओसीसीआरपी की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अदानी परिवार के क़रीबियों ने भारतीय शेयर मार्केट में लाखों डॉलर निवेश करके अदानी समूह की कंपनी के शेयर खरीदे। अदानी ग्रुप पर आरोप लगाने वाली इस रिपोर्ट को ब्रिटेन के दो अख़बारों फ़ाइनेंशियल टाइम्स और गार्डियन ने छापा है। ओसीसीआरपी दुनिया के खोजी पत्रकारों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसके दस्तावेज़ों को आधार बनाते हुए इन दोनों अख़बारों में रिपोर्टें छापी गई हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, समूह की कंपनियों के शेयरों की क़ीमत में हेर-फेर करने के लिए इसने ‘अस्पष्ट कोष’ का इस्तेमाल किया। हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि उन लोगों ने जिस कोष का इस्तेमाल किया, वो अदानी परिवार के हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, “अदानी परिवार से जुड़े लोग सालों तक छुप-छुप कर अदानी ग्रुप के शेयर ख़रीदते रहे। ये वो समय था जब अदानी की कंपनी तेज़ी से आगे बढ़ रही थी और वो देश के सबसे अमीर शख़्स बन गए थे।‘
रिपोर्ट में दो निवेशकों का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने कथित तौर पर समूह की ओर से शेयर ख़रीदे और उसे बेच दिया। इन दोनों के अदानी समूह से नजदीकी संबंध होने का दावा किया गया है। इन दोनों शख़्स के बारे में दावा किया गया है कि ये समूह से जुड़ी कंपनियों में निदेशक और शेयरधारक रहे हैं। हालांकि अडानी समूहग ने इन समस्त आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उसका कहना है कि समस्त आरोप मनगढ़ंत है और सत्यता से उसका कोई लेना देना नही है।
वही राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट में किए गए दावे पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी के साथ दो विदेशी लोग जुड़े हुए हैं, ऐसे में यहां गंभीर सवाल उठते हैं कि आख़िर ये पैसा अदानी का है या किसी और का? उन्होंने कहा कि आख़िर इन विदेशी लोगों को भारत के बुनियादी ढांचे में कैसे काम करने दिया जा रहा है?
राहुल गांधी ने अदानी समूह पर लगे आरोपों की स्वच्छ जांच कराने की केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के जिन अधिकारी ने गौतम अदानी को क्लीन चिट दी, अब वे अदानी समूह संचालित समाचार संस्था एनडीटीवी में निदेशक बना दिए गए हैं।
इस पर उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि कोई जांच नहीं हुई और प्रधानमंत्री इस मामले की कोई जांच नहीं चाहते। उन्होंने दावा किया है कि भारत की साख अब दांव पर लग गई है। उनके अनुसार, ’भारत में अब सबके लिए समान मौक़े नहीं रह गए हैं। सारे कॉन्ट्रैक्ट्स और परियोजनाएं एक शख़्स को दे दिए गए। केवल एक आदमी देश की सारी संपत्ति ख़रीद रहा है।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘सिर्फ़ एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री इस तरह से क्यों प्रोटेक्ट कर रह रहे हैं? क्यों एक शख़्स जो मोदी जी के बहुत क़रीब है, उसे अपने शेयर प्राइस बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश करने दिया जा रहा है? ये शख़्स फिर इसी पैसे से देश में हवाई अड्डे और बंदरगाह आदि पर कब्ज़ा कर रहा है। आख़िर इस मामले की जांच क्यों नहीं हो रही है? इसकी जेपीसी से जांच कराई जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? मामले की जांच के आदेश क्यों नहीं दे रहे हैं? उन्हें इस मामले में ख़ुद को बेदाग़ साबित करना होगा। भारत में जी-20 की बैठक हो रही है। ये भारत की छवि का सवाल है। इसलिए हम इस मुद्दे को उठा रहे हैं।’
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