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महिला कांस्टेबल की याचिका पर सुनवाई करते हुवे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा ‘सर्जरी के माध्यम से लिंग परिवर्तन एक संवैधानिक अधिकार है’

तारिक़ खान

डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति को सर्जरी के माध्यम से अपना लिंग बदलने का संवैधानिक अधिकार है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया, जिसने लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) की अनुमति मांगी थी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। उन्होंने बीते 29 अप्रैल को अदालत से कहा था कि वे लिंग डिस्फोरिया का अनुभव कर रही हैं। 11 मार्च 2023 को उन्होंने लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए आवश्यक मंजूरी के लिए आवेदन किया था।

जेंडर डिस्फोरिया एक ऐसा टर्म है, जो उस बेचैनी की भावना का वर्णन करता है, जो किसी व्यक्ति में उनके जैविक लिंग और उसकी लैंगिक पहचान के बीच बेमेल होने के कारण हो सकती है। याचिकाकर्ता के कानूनी प्रतिनिधि ने 18 अगस्त को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया, ‘याचिकाकर्ता ने 11 मार्च, 2023 को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के डीजीपी को लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए आवेदन दिया था। हालांकि, इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हुआ है, जिसके कारण यह याचिका दायर की गई है।’

कॉन्स्टेबल के सर्जरी से गुजरने के अधिकार को स्वीकार करते हुए जस्टिस अजीत कुमार की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि लिंग डिस्फोरिया का अनुभव करने वाला व्यक्ति, जिसकी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विशेषताएं विपरीत लिंग के लक्षणों के प्रति होती हैं, के पास लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने का संवैधानिक रूप से स्वीकृत अधिकार है।’

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