Religion

सावन के अंतिम सोमवार पर प्रदोष व्रत का संयोग, जाने पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

बापुनंदन मिश्र

डेस्क: आज सावन मास का आखिरी सोमवार है। इसी दिन सावन मास का अंतिम प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा। सावन माह 31 अगस्त दिन गुरुवार को समाप्त होगा। अधिक मास होने के कारण इस बार सावन दो माह का था, इसलिए इस माह में 8 सोमवार का संयोग भी बना था। सावन के महीने में सोमवार के दिन व्रत कर भोलेनाथ की अराधना की जाती है और आज सावन का आखिरी सोमवार है। क्योंकि 31 अगस्त 2023 को सावन का सावन का महीना खत्म होगा और भाद्रपद माह शुरू होगा।

पंचांग के अनुसार आज यानि 28 अगस्त को सावन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। सावन सोमवार व्रत और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव को समर्पित हैं। इस​ दिन व्रत व पूजा करने से जातकों के सभी दुख दूर होते हैं और भोलेनाथ अपनी कृपा बरसाते हैं। आइए जानते हैं सावन के आखिरी सोमवार और प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त।

पंचांग के अनुसार सावन का आखिरी सोमवार व्रत और आखिरी प्रदोष व्रत बेहद ही खास है। इस दिन कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं और यदि इन मुहूर्त में भोलेनाथ का पूजन किया जाए तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज यानि 28 अगस्त को सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा। फिर सुबह 9 बजकर 56 मिनट से पूरी रात सौभाग्य योग रहेगा। इसके अलावा मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से लेकर अगले दिन 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। कहते हैं कि अगर शुभ मुहूर्त में कोई पूजा पाठ किया जाए तो वह शुभ फल प्रदान करता है।

सावन सोमवार व्रत के दिन सुबह के समय भोलेनाथ को रुद्राभिषेक किया जाता है। वहीं प्रदोष व्रत में शाम के समय प्रदोष काल में भोलेनाथ का पूजन करना शुभ माना गया है। आज प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 48 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।

आज सावन के महीने में आने वाला आखिरी प्रदोष व्रत है और इस दिन महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना से व्रत करती हैं और शाम के समय यानि प्रदोष काल में भोलेनाथ का विधि-विधान से पूजन करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और इस दिन यदि उनका पूजन किया जाए तो वह अपने भक्तों को निराश नहीं करते। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव समेत पूरे शिव परिवार का पूजन करना शुभ होता है। प्रदोष काल में भोलेनाथ का गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद उन्हें भांग, बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े का फूल अर्पित करना चाहिए। फिर घी का दीपक जलाएं और भोग लगाएं।

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