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मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दरमियान कल सुप्रीम कोर्ट ने किया केंद्र और राज्य सरकार से कई तल्ख़ सवालात, कहा ‘मणिपुर में जो कुछ हुआ, उस पर ये तर्क नहीं दिया जा सकता कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हो रहा है’

आफ़ताब फारुकी

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा और महिलाओं पर यौन हमले के वायरल वीडियो पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार से कई तल्ख़ सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ, उस पर ये तर्क नहीं दिया जा सकता कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हो रहा है।

During the hearing on the Manipur violence, the Supreme Court asked several tough questions to the Center and the State Government, saying ‘Whatever happened in Manipur, it cannot be argued that it is happening in other parts of the country as well’

बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के नेतृत्व में एक बेंच मणिपुर हिंसा पर डाली गई कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस ने कहा, ‘हम मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ अप्रत्याशित तौर पर हिंसा देख रहे हैं। इस मामले में बंगाल और दूसरे राज्यों में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का उदाहरण दिया जा रहा है लेकिन ये मामला अलग है।’

सीएआई ने कहा कि ‘आप ये बताइए कि मणिपुर के हालात सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है? कहीं दूसरी जगह महिलाओं पर हो रही हिंसा का हवाला देकर मणिपुर के मामले को सही नहीं ठहराया जा सकता।’ इस मामले में चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्य सरकार की तरफ़ से पेश हुए तुषार मेहता से पूछा, ‘घटना चार मई की है और ज़ीरो एफ़आईआर 18 मई को हो रही है। पुलिस को 14 दिन क्यों लगे एफ़आईआर करने में? पुलिस चार मई से 18 मई के बीच क्या कर रही थी?’

गौरतलब हो कि दो महिलाओं पर यौन हमले का एक वीडियो दो सप्ताह पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस पर बेंच ने ये भी कहा कि यौन हमले का शिकार होने से पहले भीड़ का दो महिलाओं को नग्न कर घुमाने की भयावह घटना कोई अकेली घटना नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण होंगे। चीफ़ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, ‘चार मई को तत्काल एफ़आईआर दर्ज क्यों नहीं हुई, पुलिस को क्या परेशानी थी?’

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वीडियो वायरल होने के 24 घंटे के भीतर सात गिरफ़्तारियां हुईं। कोर्ट ने इस पर यह भी पूछा कि अब तक कुल कितने एफ़आईआर दर्ज हुए हैं। तुषार मेहता ने बताया कि अब तक उस पार्टिकुलर थाने में 20 एफ़आईआर दर्ज हुई हैं और राज्य में 6000 से ज़्यादा एफ़आईआर दर्ज हुई हैं। इस पर चीफ़ जस्टिस ने कहा, ‘एक और बात। आपने कहा कि कुल 6000 एफ़आईआर दर्ज हुई हैं। इसमें अलग-अलग मामले क्या हैं?’

सीजेआई ने कहा कि ‘कितने एफ़आईआर में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध शामिल हैं? कितने में हत्या, आगजनी, घरों को जलाने जैसे अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं? व्यक्ति के खिलाफ अपराधों के बीच विभाजन क्या है? संपत्तियों के खिलाफ अपराध, पूजा स्थलों के खिलाफ अपराध?’ चीफ़ जस्टिस ने कहा, ‘हम सिर्फ़ एक वीडियो को लेकर चिंतित नहीं हैं। बल्कि हम राज्य में जिस तरह की हिंसा हुई और वहां जो हो रहा है, उसको लेकर पूरी तरह चिंतित हैं।’

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