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फ्रेंडशिप डे पर विशेष: दोस्ती एक खुबसूरत अहसास है, पता करे सहेली ‘कुलसुम’ गुमसुम सरीखी तो नहीं, क्योकि हर दोस्त जरुरी होता है

शाहीन बनारसी

हफीज़ होशियारपुरी का एक बेहतरीन कलाम है ‘दोस्ती आम है लेकिन ए दोस्त, दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से।’ कहते है जब इस दुनिया में कोई जन्म लेता है तो वो अनेको रिश्तो से जुड़ जाता है। ये रिश्ते पहले से ही उसके होते है जिनसे उसका खून का रिश्ता होता है। मगर दुनिया में एक ऐसा रिश्ता भी हैं, जो खून से नहीं बल्कि दिल से जुडा होता है। जो किसी खून और बंदिश में कैद नही होता है और वो है ‘दोस्ती’। दुनिया के सारे रिश्ते तो जन्म के साथ मिल जाते है मगर इस रिश्ते को तलाशना बड़ा ही मुश्किल का काम होता है और जब हमारी किस्मत हमारा साथ देती है तो ये रिश्ता भी हमे बमुश्किल सही मिल ही जाता है।

दोस्ती दिलो के तार से जुड़ा एक ऐसा अहसास है जो शायद लफ्जों में बयान न किया जा सके। पाकीज़गी और बगैर किसी मतलब से निभाये जाने वाला ये रिश्ता उतना ही ख़ास होता है जितना कि हमसे जुड़े हमारे खून के रिश्ते। या यूँ कहे कि दोस्ती खून के रिश्ते से भी बढ़कर होता है। ये दुनिया का एक अनमोल रिश्ता होता है जो साथ न हो मगर जब साथ की जरुरत होती है तो अहसास के बंधनो से बंधा ये रिश्ता मुसीबत में खुद खड़ा मिलता है। ये दुनिया का एक अनमोल रिश्ता होता है जो खून का रिश्ता न हो मगर यह किसी खून के रिश्ते से कम भी नही होता। आज फ्रेंडशिप डे है तो शाहीन ने सोचा क्यों न आपको दुनिया के इस खुबसूरत रिश्ते के अहसासों से रूबरू करवाया जाए तो आइये आपको हम इस अहम रिश्ते और इसके इतिहास से रूबरू करवाते है।

देखा जाये तो इस दिन के लिए हम सभी ने कई कहानियां सुनी है पर इस दिन को लेकर विशेष कहानी में कहा जाता है की सन् 1935 में जब अमेरिकी सरकार ने 1935 में अगस्त के पहले रविवार को ही एक इंसान को जान से मार दिया। कहा जाता है की इस खबर को सुनकर उसके दोस्त ने भी खुदकुशी कर ली थी। जब दोस्ती की ये मिसाल सबके सामने आई तब आने के बाद अमेरिकी सरकार ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे रूप में मनाने का फैसला लिया था। हम सभी की ज़िंदगी में दोस्त की अहमियत को समझाने के मकसद से इस दिन को हम सेलिब्रेट करते है।

हम सबकी ज़िन्दगी में कोई न कोई ऐसा दोस्त होता है, जो दिल के करीब होता है। मिले या न मिले मगर एक दुसरे के दिली हालात को जानते ज़रूर है। दरअसल दोस्ती कोई रिश्ता नही बल्कि एक जज़्बात है। जब्जात तो दिल से ही जुड़े होते है। किसी ऐसे के लिये जज़्बात जिससे न कोई रिश्ता होता है और न कोई नाता। फिर भी वह दुःख में कंधे से कन्धा मिला कर उसका सामना करने का हौसला देता है। एक ऐसा जज्बा जिसको न कोई नाम मिल सके तो दोस्ती का नाम दे सकते है। भले सहेली के तौर पर कोई कुलसुम हो या फिर गुमसुम। एहसास तो दोस्ती के अच्छे ही होते है।

शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार और लेखिका है

वक्त के साथ भले ही उम्र गुज़रे मगर ये जज़्बात दोस्ती के कम ही नही होते है। बल्कि बढ़ते ही जाते है। ज़रूरत पर उसको आवाज़ नही देनी पड़ती है, बताना नही पड़ता है कि ज़रूरत है। बल्कि खुद से ही उसको अहसास हो जाता है और वह खुद ही मौजूद रहता है। दोस्ती एक ऐसा बंधन है जिसके रिश्ते दिल से दिल के तारो की तरह जुड़े होते है। इसी दोस्ती के एहसास वाले रिश्ते के लिए एक दिन मुकर्रर हुआ जो आज है। हम सभी दोस्तों और दोस्तों के दोस्तों को इस फ्रेंड शिप डे पर बधाई देते है। यह दिन उस रिश्ते के लिए है जो एक अहसास के तौर पर है। किसी बंधन का मोहताज नही है ये रिश्ता। वैसे आप भी पता करते रहा करे कि सहेली ‘कुलसुम’ गुमसुम तो नही। बिलकुल पता करते रहे कि वह अमन-ओ-आमान में तो है, क्योकि हर एक दोस्त ज़रूरी होता है।

Banarasi

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