शाहीन बनारसी
डेस्क: मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं। ताज़ा घटना क्रम के अनुसार विष्णुपुर जिले में कांगवई और फौगाकचाओ में बृहस्पतिवार को हुई झड़प में 19 लोगो के घायल होने की जानकारी हासिल हो रही है। जिसके बाद इम्फाल पूर्व और इम्फाल पश्चिम जिला प्रशासनो के द्वारा कर्फ्यू में ढील वापस ले लिया गया है।
मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाके में बृहस्पतिवार को हुई झड़प के बाद सेना और आरएएफ (त्वरित कार्य बल) जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार इस घटना में 19 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला प्रशासनों द्वारा पहले घोषित कर्फ्यू में ढील वापस ले ली है, एहतियात के तौर पर पूरे इंफाल घाटी में रात के कर्फ्यू के अलावा दिन के दौरान प्रतिबंध लगा दिया है।
झड़प से कुछ घंटे पहले मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से दफ़नाने की योजना तब रोक दी गई जब राज्य के उच्च न्यायालय ने गुरुवार सुबह चूड़ाचांदपुर जिले में प्रस्तावित कब्रिस्तान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। शीर्ष जनजातीय संस्था आईटीएलएफ ने भी कहा कि वह बिष्णुपुर की सीमा पर चूड़ाचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में उक्त स्थान पर 35 लोगों को दफनाने की योजना स्थगित कर रहा है।
बिष्णुपुर जिले में सुबह से ही तनाव व्याप्त था क्योंकि हजारों स्थानीय लोग सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए थे। महिलाओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सेना और आरएएफ कर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड को पार करने की कोशिश की और मांग की कि उन्हें दफन स्थल तक जाने की अनुमति दी जाए। दिन में राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में कर्फ्यू में ढील वापस ले ली थी। बाद में इंफाल पूर्व और पश्चिम के जिलाधिकारियों ने गड़बड़ी की आशंका के चलते दिन का कर्फ्यू फिर से लागू करने के अलग-अलग आदेश जारी किए।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि 40 से अधिक वाहनों और पैदल चल रहे लगभग 500 लोगों ने गुरुवार को मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में हुई जातीय हिंसा में नारानसैना में भारतीय रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के एक शिविर पर हमला करने के बाद असॉल्ट राइफल और मोर्टार सहित हथियार और गोला-बारूद लूट लिया। मोइरांग पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत में द्वितीय आईआरबी बटालियन के क्वार्टर मास्टर ओ। प्रेमानंद सिंह ने कहा कि हमलावरों ने सुबह 9:45 बजे के आसपास शिविर में उतरने के बाद मुख्य द्वार पर संतरी और क्वार्टर गार्ड को अपने कब्जे में ले लिया।
शिकायत में कहा गया है, ‘उन्होंने बटालियन के शस्त्रागार के दो दरवाजे तोड़ दिए और बड़ी संख्या में हथियार, गोला-बारूद, युद्ध सामग्री और अन्य सामान लूट लिया… भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 320 राउंड गोला बारूद और 20 आंसू गैस के गोले दागे गए।’ लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद की संख्या को सूचीबद्ध करने वाले एक दस्तावेज में कहा गया है कि उनमें असॉल्ट राइफलें, पिस्तौल, मैगजीन, मोर्टार, डेटोनेटर, हथगोले, बम, कार्बाइन, हल्की मशीन गन और 19,000 से अधिक राउंड गोला-बारूद शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, एक एके सीरीज असॉल्ट राइफल, 25 इंसास राइफल, 4 घातक राइफल, 5 इंसास एलएमजी, 5 एमपी-5 राइफल, 124 हैंड ग्रेनेड, 21 एसएमसी कार्बाइन, 195 एसएलआर, 16 9 एमएम पिस्तौल, 134 डेटोनेटर, 23 जीएफ राइफल, 81 51 एमएम एचई बम लूटे गए। बताया गया है कि सुरक्षा बलों ने एक अन्य शिविर पर हमले को रोका। सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ , जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, को गुरुवार को इंफाल पूर्वी जिले के काबो लीकाई और खाबेइसोई इलाकों और सिंगजामेई पुलिस स्टेशन में मणिपुर राइफल्स बटालियन पर हमला करने से रोका।
मणिपुर में 3 मई से मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से भीड़ ने पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों पर हमला किया है और लगभग 4,000 हथियार और 5,00,000 राउंड गोला-बारूद लूटा गया है। अधिकारी पिछले महीने के अंत तक केवल लगभग 1,000 हथियार ही बरामद कर पाए थे। 3 मई से जारी राज्य में हिंसा के दरमियान अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है। बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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