फारुख हुसैन
डेस्क: गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई की पुलिस हिरासत में हुई हत्याओं में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है और कहा कि इसमें किसी की मिलीभगत है। अदालत ने अतीक़ अहमद की बहना आयशा नूरी की याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। याचिका में नूरी ने अपने भाइयों की हत्या की व्यापक जांच के लिए निर्देश देने की मांग की है। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अदालत ने यूपी सरकार से 2017 से लेकर अब तक 183 पुलिस एनकाउंटर पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने शुक्रवार को यूपी सरकार को छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें इन एनकाउंटर की जानकारी, जांच की? स्थिति, दायर हुईं चार्जशीट और मुक़दमे की स्थिति का विवरण दिया गया हो। बेंच ने कहा, ‘पांच से दस लोग अतीक़ की सुरक्षा कर रहे थे…। कोई कैसे आ सकता है और गोली मार सकता है? यह कैसे होता है? इसमें किसी की मिलीभगत है।’
हालांकि, शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि सरकार अतीक़ अहमद और अशरफ की मौत की निष्पक्ष और समय पर जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रणालीगत खामी का संदेह करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश में हुई पुलिस मुठभेड़ में हुई 183 मौतों की जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अदालत ने कहा कि वह ऐसी हत्याओं की जांच के लिए एनएचआरसी दिशानिर्देशों के अनुरूप एक अखिल भारतीय तंत्र स्थापित करना चाहते हैं। जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा से यह सुनिश्चित करने को कहा कि राज्य सरकार छह सप्ताह में एक हलफनामा दाखिल करे जिसमें पिछले छह वर्षों में हुई सभी मुठभेड़ हत्याओं की जांच की स्थिति का विवरण दिया जाए और उन मामलों का उल्लेख किया जाए, जिनमें इन मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं और मुकदमे की सुनवाई चल रही है।
हालांकि, याचिकाकर्ता विशाल तिवारी द्वारा मुठभेड़ में हुई हत्याओं और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग की मांग करने की बार-बार की गई मांग को पीठ ने खारिज कर दिया। इसने कहा, ‘राज्य सरकार ने पहले ही एक न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है। हम मुठभेड़ हत्याओं की जांच के लिए दिशानिर्देश तय करने से संबंधित मुद्दे से निपटेंगे।’
इस साल 15 अप्रैल को यूपी पुलिस द्वारा रात 10:30 बजे अतीक और अशरफ को जब ‘नियमित चिकित्सा जांच’ के लिए इलाहाबाद स्थित मोतीलाल नेहरू मंडल अस्पताल ले जाया जा रहा था तो मीडिया से बातचीत के दौरान खुद को पत्रकार बताने वाले तीन युवकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने पांच-दस लोगों की सुरक्षा में अतीक की हत्या की घटना पर भी सवाल उठाया और कहा, ‘कोई ऐसे कैसे आकर गोली मार सकता है? किसी ने तो मदद की होगी।’
अदालत उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिकाओं में से एक में पुलिस की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच करवाने की मांग की गई है। एक अन्य याचिका गैंगस्टर नेता अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने दायर की है, जिसमें सरकार द्वारा की गई कथित ‘न्यायेतर हत्याओं’ की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी की अध्यक्षता में व्यापक जांच की मांग की गई है। उन्होंने उनके भतीजे (अतीक के बेटे) की भी पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या की जांच की मांग की है। अतीक का बेटा असद अहमद 13 अप्रैल को झांसी में पुलिस एनकाउंटर में एक साथी के साथ मारा गया था।
फारुख हुसैन लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आज लखीमपुर खीरी…
माही अंसारी वाराणसी: वाराणसी के सारनाथ थाना अंतर्गत पहाड़िया स्थित एक बहुमंजिला भवन में चल…
ए0 जावेद वाराणसी: राजातालाब थानाध्यक्ष अजीत कुमार वर्मा की शनिवार शाम एक सड़क हादसे के…
तारिक आज़मी वाराणसी: संभल आज साम्प्रदायिकता की आग में जल उठा। सदियों पुरानी सम्भल की…
शहनवाज अहमद गाजीपुर: गहमर थाना क्षेत्र के वारा गांव के पास गंगा नदी में आज…
आदिल अहमद डेस्क: बाबा सिद्दीक़ी के बेटे ज़ीशान सिद्दीक़ी मुंबई की बांद्रा पूर्व सीट से…